एक परीक्षा में सफल होने के लिए कोचिंग संस्थानों और मध्यस्थों के बीच डेटा लीक का मामला सामने आया है। कई अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्हें कॉल करने वाले लोगों ने उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट सुरक्षित करने का वादा किया है, जिसके लिए उन्हें 25 लाख रुपये देने होंगे। जब उन्होंने उनसे पूछा कि वे उनका नंबर कैसे प्राप्त कर लेते हैं, तो उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया।
एक अभ्यर्थी ने बताया, “हाँ, मुझे कई कॉल मिले हैं जिनमें लोग अपने आप को काउंसलर बताते हैं। एक ने तो यह भी कहा कि वह मुझे तमिलनाडु के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट सुरक्षित कर सकता है, जिसके लिए मुझे 25 लाख रुपये देने होंगे। जब मैंने उनसे पूछा कि वे मेरा नंबर कैसे प्राप्त कर लेते हैं, तो उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया।”
कई अन्य अभ्यर्थियों ने भी ऐसी ही अनुभवों की कहानियां सुनाईं, जिनमें उन्हें कॉल करने वाले लोगों ने उन्हें पोस्टग्रेजुएट कोर्स में सीट सुरक्षित करने के लिए बड़े पैसे देने का वादा किया। लेकिन जब उन्होंने उनसे पूछा कि वे उनका नंबर कैसे प्राप्त कर लेते हैं, तो उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया।
इस मामले में कोई आधिकारिक बयान मंत्रालय की ओर से नहीं मिला है। लेकिन इस घटना ने निवासी डॉक्टरों के संघों को गुस्से में डाल दिया है, जिन्होंने तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
एफओआरडीए की अध्यक्ष डॉ. देवौन्शी कौल ने कहा, “यह डेटा लीक एक गंभीर गोपनीयता और डेटा सुरक्षा का उल्लंघन है, जिससे भविष्य के डॉक्टरों को शोषण का शिकार होना पड़ सकता है। यह एक गंभीर गोपनीयता का उल्लंघन है, जिससे डेटा सुरक्षा और नैतिक आचरण का उल्लंघन होता है। कोचिंग संस्थानों, प्रवेश मध्यस्थों और व्यावसायिक मध्यस्थों ने इस जानकारी का उपयोग अपने वित्तीय और प्रचारात्मक लाभ के लिए किया है।”
उन्होंने नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन, स्वास्थ्य मंत्रालय और साइबर क्राइम डिवीजन से तुरंत जांच शुरू करने की मांग की।
एफएआईएमए के मुख्य प्रोटीन डॉ. रोहन कृष्णन ने भी इस मामले पर अपनी चिंता व्यक्त की, “एनईईटी-पीजी परीक्षाओं में हमें बहुत सावधानी से काम करना होगा। यह घटना नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। यह ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली को भी संदेह के घेरे में लाती है। बोर्ड की असफलता के कारणी की जांच की जानी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “अब बोर्ड को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी, चुनौतियों का सामना करना होगा और तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई करनी होगी।”