उत्तर प्रदेश में पेड़ कटान के नियम: जानें कौन से पेड़ काटने की अनुमति है और किन पर रोक है
उत्तर प्रदेश में पेड़ कटान के नियमों के बारे में अक्सर लोगों को जानकारी के अभाव में असमंजस रहता है. लोगों को अक्सर यह समस्या का सामना करना पड़ता है कि कौन से पेड़ बिना अनुमति काटे जा सकते हैं और किन पर रोक है. ऐसे में जरूरी है कि हर व्यक्ति पेड़ कटान से जुड़ी सरकारी प्रक्रिया और नियमों को समझे.
कन्नौज के डीएफओ हेमंत कुमार बताते हैं कि अगर किसी व्यक्ति की निजी भूमि पर पेड़ लगा है और उसे काटने की जरूरत है, तो वह पहले वन विभाग में आवेदन करे. आवेदन ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकता है. अधिकारी आवेदन की जांच के बाद स्थल निरीक्षण कराते हैं और स्थिति का आकलन करते हैं, इसके बाद अनुमति मिलने पर ही पेड़ काटा जा सकता है.
किसे काटने की छूट
आमतौर पर नीम, शीशम, यूकेलिप्टस, बबूल, पॉपलर, सुबबूल जैसे पेड़ों के कटान की अनुमति आसानी से मिल जाती है, क्योंकि इन्हें व्यावसायिक या कृषि प्रयोजनों के लिए लगाया जाता है. लेकिन पीपल, बरगद, पाकड़, आंवला, इमली और बेल जैसे पेड़ों पर रोक है, क्योंकि ये पर्यावरणीय और धार्मिक दृष्टि से संरक्षित श्रेणी में आते हैं. बिना अनुमति ऐसे पेड़ काटने पर भारतीय वन अधिनियम 1927 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत जुर्माना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
ऐसे करें आवेदन
कन्नौज डीएफओ हेमंत कुमार के मुताबिक, पेड़ काटने की अनुमति मिलने के बाद संबंधित व्यक्ति को उतनी ही संख्या में नए पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी होती है. विभाग समय-समय पर इन पौधों का निरीक्षण भी करता है. यदि कोई व्यक्ति आवेदन करना चाहता है तो वन विभाग की वेबसाइट पर जाकर “ट्री फेलिंग परमिशन” सेक्शन में फॉर्म भर सकता है. आवेदन में भूमि का ब्योरा, पेड़ों की संख्या और कारण स्पष्ट रूप से दर्ज करना होता है. निरीक्षण के बाद आमतौर पर 15 से 20 दिनों के भीतर अनुमति दी जाती है. वन विभाग ने अपील की है कि लोग बिना अनुमति पेड़ न काटें, बल्कि नियमों का पालन करते हुए पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहयोग दें.