नई दिल्ली: भारत में जेलों में महिला कैदियों की स्थिति को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) चिंतित है। आयोग ने महिला कैदियों के अधिकारों, स्वास्थ्य और गरिमा को मजबूत करने के लिए एक राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन करने का निर्णय लिया है। यह परामर्श शनिवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में आयोजित किया जाएगा। इस परामर्श में महिला कैदियों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए आवश्यक सुधारों की पहचान की जाएगी।
इस परामर्श में ‘जेलों में महिलाओं के संबंधी कानून’ विषय पर विशेषज्ञ, जेल प्रशासक और नीति निर्माता एक साथ मिलकर महत्वपूर्ण सुधारों पर चर्चा करेंगे। इस परामर्श से प्राप्त सिफारिशें राष्ट्रीय महिला आयोग के अंतिम रिपोर्ट में शामिल की जाएंगी। इस पहल का नेतृत्व राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा विजया राहतकर कर रही हैं।
आयोग के अनुसार, “महिला कैदियों का प्रतिशत पूरे जेल आबादी का 4.3% है, लेकिन कई राज्यों में उन्हें अभी भी महत्वपूर्ण प्रणालीगत बाधाएं का सामना करना पड़ता है, जिनमें से कुछ में भीड़भाड़ वाले सुविधाएं, अपर्याप्त चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं, लिंग-संवेदनशील ढांचे की कमी, खराब स्वच्छता और बढ़ी हुई सुरक्षा जोखिम शामिल हैं।”
महिला कैदियों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने आठ क्षेत्रीय परामर्श आयोजित किए हैं, जिनमें नोएडा, पणजी, आइजोल, पटना, भोपाल, पटियाला, हैदराबाद और देहरादून शामिल हैं। इन परामर्शों से 300 से अधिक विशेषज्ञ सिफारिशें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 205 मुख्य सिफारिशें अब राष्ट्रीय परामर्श में ली जाएंगी।

