Natural Mango Ripening: कैल्शियम कार्बाइड नहीं, यह घास जैसा पेड़ नेचुरल तरीके से 2 दिन में पका देता है आम, खाइये एकदम आर्गेनिक

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Last Updated:June 19, 2025, 14:06 ISTAam Pakane Ka Desi Tarika: सहारनपुर की किसान शुभावरी बांसा पेड़ के पत्तों से आम पकाकर नेचुरल मिठास बनाए रखती हैं और अच्छा मुनाफा कमा रही हैं. बिना केमिकल्स के आम दो दिन में पक जाते हैं.हाइलाइट्ससहारनपुर की किसान शुभावरी बांसा पेड़ से आम पकाती हैं.बांसा के पत्तों से आम दो दिन में नेचुरली पकते हैं.बिना केमिकल्स के आम की मिठास और गुणवत्ता बनी रहती है.Natural Mango Ripening: उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिले ‘मैंगो बेल्ट’ (Mango Belt) के नाम से जाना जाता है. यहां सैकड़ों किस्म के आम उगाए जाते हैं. आम को पकाने के लिए जहां आमतौर पर केमिकल्स और देसी नुस्खों का सहारा लिया जाता है, वहीं अब एक नई देसी तरीका चर्चा में है. सहारनपुर की एक किसान शुभावरी बांसा नामक पेड़ (Bansa Tree) के पत्तों से आम पकाकर न सिर्फ नेचुरल मिठास बनाए रखती हैं, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा रही हैं.दो दिन में नेचुरल तरीके से पकते हैं आम
बांसा का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है और इसकी तासीर गर्म होती है. यही गर्माहट आम को जल्दी और नेचुरल तरीके से पकाने में मदद करती है. आम को पकाने के लिए जिस गर्मी की जरूरत होती है, बांसा के पत्ते वही गर्मी आम के अंदर पैदा कर देते हैं. किसान शुभावरी पिछले 20 साल से बांसा के पत्तों का इस्तेमाल कर आम पकाती हैं और उनकी मांग हर साल बढ़ती जा रही है.

न केमिकल, न नुकसान, मिठास भी दोगुनीलोकल 18 से बातचीत में शुभावरी बताती हैं, “हर साल जैसे ही आम का सीजन आता है, बाजार में केमिकल से पके आम पहुंचने लगते हैं. इनमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है कारबाइड का, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है. लेकिन वह बांसा पेड़ के पत्तों से आम पकाती हैं. वहीं, जब आम को दूसरे शहर भेजना होता है, तो हम कच्चा आम तोड़कर पेटियों में पैक कर देते हैं और ऊपर बांसा के पत्ते रख देते हैं. दो से ढाई दिन के अंदर आम पूरी तरह से पक जाता है.”

उन्होंने बताया, “इस तरीके में किसी भी तरह का केमिकल इस्तेमाल नहीं होता और आम पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से पकता है. खास बात ये है कि बांसा से आम में मिठास भी बढ़ जाती है. जो ग्राहक एक बार ऐसा आम खरीदते हैं, वो दोबारा जरूर लौटते हैं.”

आम पकाने का देसी जरियाबांसा का इस्तेमाल आमतौर पर खांसी, जुकाम, नजला जैसी बीमारियों में किया जाता है. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इसके पत्ते आम पकाने में भी कारगर हैं. सहारनपुर जैसे इलाकों में अब किसान इस तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं क्योंकि इसमें न तो केमिकल का खर्च है, न सेहत का नुकसान और न ही मिठास की कोई कमी.

Location :Saharanpur,Uttar Pradeshhomelifestyleयह घास जैसा पेड़ नेचुरल तरीके से 2 दिन में पका देता है आम, खाइये एकदम आर्गेनिक

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