Native stingless bee Honey may help tackle antibiotic resistance Says Research | बिना डंक वाली मधुमक्खी के शहद से होगा इस एक बीमारी खात्मा! रिसर्च ने जगाई उम्मीद

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Native stingless bee Honey may help tackle antibiotic resistance Says Research | बिना डंक वाली मधुमक्खी के शहद से होगा इस एक बीमारी खात्मा! रिसर्च ने जगाई उम्मीद



Honey For Antibiotic Resistance: ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने पाया है कि देसी बिना डंक वाली मधुमक्खियों (Native Stingless Bees) द्वारा बनाया गया शहद खास एंटीमाइक्रोबियल गुण रखता है, जो एंटीबायोटिक रिजिस्टेंस के ग्लोबल खतरे से लड़ने में नई उम्मीद जगाता है.
शुगरबैग हनी के फायदेशिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने बताया कि स्थानीय रूप से “शुगरबैग” शहद के रूप में जाना जाने वाला, ऑस्ट्रोप्लेबिया ऑस्ट्रेलियाज (Austroplebeia australis) जैसी तीन प्रजातियों का शहद, रिमार्केबल एंटीमाइक्रोबियल एक्टिविटी करता है.
लंबे वक्त तक बरकरार रहते हैं गुणयूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी (University of Sydney) के रिसर्चर्स ने बताया कि हीट ट्रीटमेंट और लंबे समय तक स्टोरेज के बाद भी एंटीमाइक्रोबियल एक्टिविटी बरकरार रहती है. ये एक ऐसी खासियत है जिससे कमर्शियल मेडिकल एप्लिकेशन को फायदा मिल सकता है.
यूरोपियन हनी से अलगये लचीलापन इसे यूरोपीय मधुमक्खियों से प्रोड्यूस होने वाले शहद से अलग करता है, जिनके एंटीमाइक्रोबियल इफेक्ट्स अक्सर हाइड्रोजन पेरोक्साइड पर डिपेंड करते हैं और वक्त के साथ या गर्मी से कम हो सकते हैं।
स्टडी में में पाया गया कि बिना डंक वाली मधुमक्खी के शहद की एंटीमाइक्रोबियल पावर पेरोक्साइड और गैर-पेरोक्साइड दोनों मेकेनिज्म पर डिपेंड करती है, जो हाइड्रोजन पेरोक्साइड के बिना भी असरदार रहती है. मैनका शहद (Manuka honey) के उलट, जिसकी ताकत खास तौर से कुछ पौधों पर निर्भर करती है.
खास है ये मधुमक्खीयूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की स्टडी की लीड ऑथर केन्या फर्नांडिस (Kenya Fernandes) ने कहा कि शहद के अलग-अलग जगहों पर लगातार एंटीमाइक्रोबियल इफेक्ट्स बताते हैं कि मधुमक्खियां खुद, न कि सिर्फ पौधे, एक अहम भूमिका निभाती हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के प्रोफेसर और को-ऑथर डी कार्टर (Dee Carter) ने कहा, “टेस्ट किए गए सभी शुगरबैग सैंपल्स में एंटीमाइक्रोबियल एक्टिविटीज कंसिस्टेंट है, यूरोपीय मधुमक्खी के शहद के उलट जो सीजनल चेंजेज और फूलों के सोर्स के आधार पर काफी अलग-अलग हो सकता है.”
इलाज में इस्तेमाल मुमकिनअमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी (American Society for Microbiology) की तरफ से छापे गए एप्लाइड एंड एनवायरनमेंटल माइक्रोबायोलॉजी (Applied and Environmental Microbiology) में डिटेल्ड स्टडी में कहा गया है कि पारंपरिक रूप से स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाई लोगों द्वारा भोजन और इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शुगरबैग शहद अब सिंथेटिक एंटीबायोटिक दवाओं के लिए एक उम्मीदों से भरे नेचुरल ऑप्शन के तौर पर देखा जा रहा है.
प्रोडक्शन कम लेकिन मेंटनेंस आसानहालांकि सभी बिना डंक वाली मधुमक्खी का छत्ता हर साल सिर्फ आधा लीटर शहद प्रोड्यूस करता है, लेकिन उनके कम रखरखाव से बड़े पैमाने पर उत्पादन मुमकिन हो सकता है.
मार्केटिंग की कोशिशरिसर्चर्स ने कहा कि रेगुलेटरी अप्रूवल के साथ, ये शहद अब हाई वैल्यू वाले बाजारों तक पहुंच सकता है, और इसकी एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज पर चल रही रिसर्च एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के खिलाफ नया वादा पेश करता है.
(इनपुट-आइएएनएस)
 
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमें इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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