Nasal Spray For Gene Therapy: अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक नई जीन थेरेपी तैयार की है, जिसे नाक के जरिए स्प्रे करके फेफड़ों और सांस की नली तक पहुंचाया जा सकता है. जीन थेरेपी तब ही असरदार होती है जब इलाज से जुड़ी जरूरी चीजें शरीर के सही हिस्सों तक पहुंचें. जीन थेरेपी में, इलाज करने वाले अणुओं को शरीर के सही जगह तक पहुंचाना जरूरी होता है ताकि वो ठीक से काम कर सकें. इसके लिए अक्सर एडेनो-एसोसिएटेड वायरस (AAV) जीन थेरेपी का यूज किया जाता है.
कैसे तैयार हुई ये तकनीक?इस तकनीक को और बेहतर बनाने के लिए मैस जनरल ब्रिघम (Mass General Brigham) के साइंटिस्ट ने एएवी का एक नया रूप तैयार किया है, जिसका नाम एएवी.सीपीपी.16 है. इसे नाक में स्प्रे के रूप में दिया जा सकता है. जानवरों पर की गई शुरुआती रिसर्च में ये नई तकनीक पुराने एएवी6 और एएवी9 की तुलना में ज्यादा असरदार साबित हुई. इसने फेफड़ों और सांस की नली को बेहतर तरीके से टारगेट किया और ये रिस्पिरेटरी और फेफड़ों की बीमारियों के इलाज में कारगर साबित हो सकती है.
फेफड़ों की सेल्स के लिए फायदेमंदब्रिघम एंड वीमेन हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के फेंगफेंग बेई ने बताया कि एएवी.सीपीपी.16 को पहले हमने सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक पहुंचाने के लिए बनाया था, लेकिन ये फेफड़ों की सेल्स में भी अच्छे से काम कर रहा है. इस वजह से हमने इसे नाक के जरिए फेफड़ों तक दवा पहुंचाने के लिए भी परखा.
चूहों पर किया गया टेस्टइस रिसर्च में एएवी.सीपीपी.16 ने न सिर्फ सेल टेस्ट में, बल्कि चूहों और अन्य जानवरों पर किए गए एक्सपेरिमेंटस् में भी पहले के तरीकों से बेहतर रिजल्ट दिए. उन्होंने इस तरीके का इस्तेमाल वायरल इंफेक्शन के लिए जीन थेरेपी देने में भी किया. इसमें, कोविड-19 से संक्रमित चूहों पर हुए टेस्ट में एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस को बढ़ने से रोकने में मदद मिली. वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी और रिसर्च की जरूरत है, लेकिन अब तक के नतीजे दिखाते हैं कि एएवी.सीपीपी.16 एक असरदार तरीका हो सकता है जिससे सांस की नली और फेफड़ों को सीधे इलाज पहुंचाया जा सके.
(इनपुट-आईएएनएस)
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