विशाल भटनागर/मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से 45 किलोमीटर दूर महाभारत कालीन ऐतिहासिक हस्तिनापुर में एक बार फिर से बूढ़ी गंगा के पुनरुद्धार की संभावनाएं बढ़ गई है. नमामि गंगे समिति की वर्चुअल बैठक में बूढ़ी गंगा के पुनरुद्धार के लिए सिंचाई विभाग को योजना बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

मेरठ डीएफओ राजेश कुमार ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि नमामि गंगे की बैठक में पर्यावरण से संबंधित सभी बिंदुओं पर चर्चा की जाती है. इसके तहत ही समिति की वर्चुअल बैठक में मेरठ जिलाधिकारी दीपक मीणा द्वारा हस्तिनापुर क्षेत्र में संचालित बूढ़ी गंगा के पुनरुद्धार के लिए सिंचाई विभाग को जल्द से जल्द उचित कार्य योजना बनाने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए. उन्होंने बताया कि किसान एवं सभी का सहयोग लेते हुए सिंचाई विभाग की रिपोर्ट एवं निर्धारित बूढ़ी गंगा के क्षेत्र के अनुसार आगे की प्रक्रिया नियमानुसार की जाएगी. ताकि, बूढ़ी गंगा को वास्तविक रूप से जीवित किया जा सके.

किसान की आय को दोगुना करने में मदद करेगी बूढ़ी गंगाशोभित विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं लंबे समय से बूढ़ी गंगा के क्षेत्र में शोध एवं उनके पुनरुद्धार में लगे हुए नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रियंक भारती ने कहा कि बूढ़ी गंगा का जिस दिन वास्तविक स्वरूप लौट आएगा. उससे हस्तिनापुर के किसानों को काफी फायदा होगा. वह कहते हैं कि हर साल बाढ़ से किसानों को काफी नुकसान होता है. ऐसे सभी लोगों के लिए बूढ़ी गंगा वरदान है. क्योंकि उससे बाढ़ की संभावना कम हो जाएगी.

ऐतिहासिक है बूढ़ी गंगाबता दें कि महाभारत कालीन हस्तिनापुर का जब भी जिक्र किया जाता है, तो उसमें बूढ़ी गंगा का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. कहा जाता है कि महाराज कर्ण, द्रोपदी, पांचो पांडव, कौरव इसी बूढ़ी गंगा के जल में  स्नान कर अपने-अपने कुलदेवता व कुलदेवी की विधि विधान के साथ आराधना किया करते थे. यही कारण है कि आज भी यहां पर बूढ़ी गंगा की निर्मल धारा का मुख्य स्रोत देखने को मिलता है. वहां, द्रौपदी घाट बना हुआ है जहां श्रद्धालु विधि विधान के साथ द्रौपदी माता की पूजा अर्चना करते हुए दिखाई देते हैं.
.Tags: Local18, Meerut newsFIRST PUBLISHED : March 26, 2024, 11:22 IST



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