Uttar Pradesh

कोई लागत नहीं, कोई मेहनत नहीं… इस काम से युवक बन गया मालामाल! घर बैठे कमा रहा बहुत पैसा, खरीद चुका कई प्लाट

बकरी पालन: रामपुर के सचिन अजीमनगर में बकरी पालन से सालाना चार से पांच लाख रुपये कमाते हैं

गांव देहात में जब आप रोज़गार की तलाश करेंगे तो खेती किसानी और पशुपालन ही सबसे भरोसेमंद विकल्प माना जाता है. इनमें से बकरी पालन भी ऐसा काम है, जिसमें खर्च कम होता है और मुनाफ़ा जल्द मिलता है. यही कारण है कि अब यह काम ग्रामीण परिवारों के लिए रोज़गार का मजबूत जरिया बन गया है. रामपुर थाना अजीमनगर के रहने वाले सचिन बताते हैं कि उनके यहां बकरी पालन दादा-परदादा के समय से चला आ रहा है. वो खुद भी कई सालों से दर्जनों बकरियां पाल रहे हैं और सालाना चार से पांच लाख रुपये तक की कमाई आराम से हो जाती है. सचिन कहते हैं कि बकरी पालन में ज़्यादा खर्च नहीं होता और आमदनी इतनी मिल जाती है कि घर के खर्च से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक सब चल जाता है. साथ ही वो बताते हैं कि बकरी पालन से ही मैंने दो जगह प्लाट खरीद लिया है.

सचिन का कहना है कि बरसात के मौसम में बकरियों की देखभाल थोड़ी बढ़ जाती है. क्योंकि इस मौसम में खाँसी-जुकाम जैसी दिक़्क़तें आम हैं. इसलिए समय-समय पर दवा और टीका लगाना ज़रूरी होता है. उन्होंने बताया कि वह रेगिस्तानी और देशी बकरी पालन करते हैं. जिसमें कोई खास खर्चा नहीं आता है. बस रोज़ जंगल से हरी घास लाते हैं या खुद बकरी चराने जंगल ले आते हैं, वही बकरियों के लिए काफी है.

सचिन के मुताबिक रेगिस्तानी नस्ल की बकरियां सबसे तेजी से बड़ी होती हैं और इनका छोटा बच्चा ही 3 हजार में बिक जाता है और फायदा भी जल्दी होता है. वहीं देशी नस्ल की बकरियां इसलिए अच्छी मानी जाती हैं, क्योंकि ये खाने-पीने में नखरे नहीं करतीं. घास, पत्ते, अनाज, सब कुछ खा लेती हैं और ये एक बार में एक से लेकर तीन-चार बच्चे तक दे सकती हैं. पहली बार में अक्सर एक या दो बच्चे देती हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इनकी प्रजनन क्षमता भी बढ़ जाती है. यही वजह है कि गांवों में लोग इन्हें रोज़गार और कमाई का बेहतर जरिया मानते हैं.

सचिन ने बताया कि बकरी पालन से जुड़े किसानों की आमदनी त्योहारों के वक्त और बढ़ जाती है. खासकर बकरीद के समय इसकी मांग सबसे ज़्यादा होती है. सचिन कहते हैं हमारी कई बकरियाँ तो मंडी में जाते ही हाथों-हाथ बिक जाती हैं. दरअसल इस दौरान अच्छी नस्ल की बकरियों की कीमत हज़ारों से लेकर लाखों रुपये तक पहुंच जाती है. यही कारण है कि कई किसान सालभर बकरी पालकर सिर्फ त्योहारों पर बेचकर मोटा मुनाफ़ा कमा लेते हैं.

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