शाश्वत सिंह/ झांसी : देश भर में धार्मिक स्थलों को कब्जे से मुक्त कराने की मुहिम चल रही है. काशी में ज्ञानवापी पर आए एक फैसले के बाद इस प्रक्रिया को देश भर में और अधिक बल मिला है. इन सब के बीच एक मंदिर ऐसा भी है जिसको कब्जा मुक्त कराने में ना कोई खूनी संघर्ष हुआ और ना ही कोई कोर्ट केस हुआ. यह मंदिर है झांसी स्थित मड़िया महादेव मंदिर. झांसी के गोविंद चौराहा के पास स्थित यह मंदिर आज पुरातत्व विभाग का एक संरक्षित स्मारक है.

मंदिर के महंत पंडित रामेश्वर उपाध्याय ने बताया कि यह मंदिर 600 वर्ष पुराना है. राजा टीकमगढ़ ने इस मंदिर की सुरक्षा के लिए नागा साधुओं से मदद मांगी थी. इन्हें गोसाईं कहा जाता था. मान्यता है कि गोसाईं ब्राह्मण आदि गुरु शंकराचार्य ने बनाए थे. कहते हैं कि शंकराचार्य ने धर्म की हानि रोकने के लिए ब्राह्मण समाज के लोगों में से एक नए संप्रदाय की शुरुआत की, जिन्हें गोसाईं कहा जाता है. गोसाईं समाज द्वारा ही इस मंदिर की स्थापना की गई. यहां कुल 27 मंदिर बनाए गए थे. आज सिर्फ 17 मंदिर ही बचे हैं. आजादी के समय मंदिर के आसपास रह रहे लोगों ने एक धर्म विशेष के लोगों को आसरा दिया था. लेकिन, कुछ समय बाद इन मंदिरों पर कब्जा होने लगा.

आपसी समझौते से निकल गया समाधानपंडित रामेश्वर ने बताया कि 1993 में इन मंदिरों को कब्जा मुक्त करने के लिए पहली बैठक की गई. उसे समय लोगों को जोड़ने के लिए अखंड रामायण और शिवरात्रि के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. 2007 से विधायक रवि शर्मा ने यहां शिव बारात निकालने की परंपरा शुरू कर दी. इसके बाद यह मुद्दा बड़ा हुआ. तत्कालीन सरकार से यह अनुरोध किया गया की मंदिर को कब्जा मुक्त करवाया जाए.

मंदिर के बाकी हिस्से के लिए संघर्ष जारीपंडित रामेश्वर ने बताया कि इसके बाद आपसी समझौते से वहां रह रहे लोग मंदिर को खाली करके चले गए. उन्हें कांशीराम आवास योजना के तहत बने मकानों में शिफ्ट किया गया और रोजगार के लिए पैसे भी दिए गए. आज मड़िया महादेव मंदिर का कुछ हिस्सा कब्जा मुक्त हो गया है. बाकी हिस्से के लिए संघर्ष जारी है और यहां एक कॉरिडोर बनवाने की मांग भी लगातार उठती रहती है.
.Tags: Jhansi news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : February 26, 2024, 17:16 IST



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