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myths about mens mental health know truth about mental health of men samp | पुरुषों के बारे में फैले हुए हैं ये बड़े भ्रम, आपकी फीमेल फ्रेंड से लेकर बहन तक मानती हैं सच



Mental Health: एक तो वैसे ही मेंटल हेल्थ को हल्के में ले लिया जाता है. मगर, इसमें भी पुरुषों का मानसिक स्वास्थ्य ज्यादा नजरअंदाज किया जाता है. जिसके कारण वह चुपचाप चिंता, तनाव, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से जूझते रहते हैं. दरअसल, पुरुषों की इन मेंटल प्रॉब्लम्स के पीछे कुछ ऐसे भ्रम या मिथक हैं, जो बचपन से ही हमें घोलकर पिला दिए जाते हैं. ये भ्रम समाज में अपनी जड़ें इतनी पक्की कर बैठे हैं कि ना सिर्फ फीमेल फ्रेंड, बहन या अन्य महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी इनको सच मानने लगे हैं.
तो आइए जानते हैं कि पुरुषों की मेंटल हेल्थ से जुड़े कौन-से भ्रमों पर विश्वास नहीं करना चाहिए.
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Myths about Men’s Mental Health: पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े भ्रमक्या आप भी पुरुषों के बारे में इन बातों को सच मानते हैं…
1. मर्दों में इमोशन्स नहीं होतेलोगों को लगता है कि मर्दों में इमोशन्स नहीं होते. मगर सच्चाई ये है कि वह अपने इमोशन्स को दिखाते नहीं है. क्योंकि, ऐसा माना जाता है कि इमोशनल होना या भावनाएं दिखाना कमजोरी की निशानी है. पुरुषों को हमेशा सख्त होना चाहिए. लेकिन, एक्सपर्ट इस बात को गलत मानते हैं.
2. मर्द रोते थोड़ी हैंबचपन से ही सीखाया जाता है कि मर्द रोते थोड़े ही हैं. उन्हें दर्द होता ही नहीं है. दर्द महसूस होना और रोना महिला की निशानी है. लेकिन, एक्सपर्ट इसे भी पूरी तरह भ्रम मानते हैं. शरीर की तरह भावनाओं को भी चोट लगने की स्थिति में इंसान रो पड़ता है. रोने से ना सिर्फ आप हल्का महसूस करते हैं, बल्कि पहले से ज्यादा मजबूत दिखाई देते हैं.
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3. सपोर्ट की जरूरत नहीं होतीकोई भी व्यक्ति जीवन में कई बार उतार महसूस करता है. जिसमें वह अकेला और बेसहारा महसूस करता है. पुरुषों का भी ऐसा महसूस करना आम बात है. पुरुषों को भी अपनी फीलिंग्स शेयर करनी चाहिए, ताकि सामने वाला उन्हें इमोशनल सपोर्ट दे सके. इमोशनल सपोर्ट स्थितियों को नहीं बदल देता, लेकिन किसी के साथ होने का एहसास करवा देता है.
4. पुरुषों को गुस्सा ज्यादा आता हैविभिन्न भावों में से गुस्सा भी एक भाव है, जो कि महिलाओं और पुरुष दोनों को एक समान आता है. बस यह इस पर निर्भर करता है कि वह किसी के सामने गुस्सा दिखा सकता है या नहीं. गुस्सा अक्सर तब आता है, जब आप अपनी फीलिंग्स या बात को पूरी तरह शेयर नहीं कर पा रहे होते हैं.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.



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