Health

muscle loss problem rise in type 2 diabetes patients of young age says AIIMS latest study | डायबिटीज में अब नया खतरा! कम उम्र वाले मरीजों में तेजी से घट रही है मसल्स की ताकत



डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है जो न केवल रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाती है, बल्कि शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकती है. हाल ही में एक चिंताजनक अध्ययन में पता चला है कि कम उम्र के डायबिटीज मरीजों में मसल्स की हानि तेजी से घट रही है. यह न केवल उनके फिजिकल हेल्थ के लिए खतरा है, बल्कि उनकी लाइफस्टाइल को भी प्रभावित कर सकता है.
एम्स (AIIMS) के एक नए अध्ययन में सामने आया है कि टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित युवाओं में तेजी से मसल्स कमजोर हो रही हैं. ये स्थिति 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती थी, लेकिन अब ये परेशानी 40 साल से अधिक उम्र के डायबिटीज मरीजों में भी पाई जा रही है.क्या कहते हैं एक्सपर्टटीओआई के मुताबिक, अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता इंटरनल मेडिसिन विभाग के डॉ. नवीन के विक्रम का कहना है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अब इलाज के साथ-साथ मसल्स की हानि (sarcopenia) की जांच भी करा लेनी चाहिए. अगर समय रहते इसका पता चल जाए तो हाई-क्वालिटी प्रोटीन और रेजिस्टेंस व्यायाम की मदद से मसल्स की मात्रा और क्वालिटी को बढ़ाया जा सकता है, जिससे इससे होने वाली समस्याओं को रोका जा सकता है.
मसल्स लॉस एक गंभीर समस्याहाल ही में अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘एलसेवियर’ में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त युवाओं में मसल्स की हानि होना एक गंभीर समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है और कम शारीरिक एक्टिविटी इसका मुख्य कारण है. बढ़ती उम्र के साथ मसल्स की हानि होने का खतरा बढ़ता जाता है, इसलिए इस बीमारी का जल्द पता लगाकर उसका इलाज करना बहुत जरूरी है.
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229 डायबिटीज मरीजों पर हुआ अध्ययनअध्ययन में 20 से 60 साल के उम्र वाले 229 डायबिटीज मरीजों की जांच की गई. जांच में मसल्स की ताकत, फिजिकल परफॉर्मेंस और हाइट एडजस्टेड एपेंडिकुलर स्केलेटल मसल इंडेक्स को मापा गया. अध्ययन में शामिल ज्यादातर मरीज (47.6%) 41 से 50 साल के बीच के थे. वहीं, 31 से 40 साल के बीच 19.21%, 51 से 60 साल के बीच 31% और 30 साल से कम उम्र के केवल 2.2%  मरीज थे.
अध्ययन का रिजल्टअध्ययन में पाया गया कि 16.2% मरीजों में कम मसल्स ताकत थी और महिलाओं (17%) की तुलना में पुरुषों (14%) में थोड़ी कम देखी गई. कुर्सी से खड़े होने के टेस्ट और शॉर्ट फिजिकल परफॉर्मेंस बैटरी (एसपीपीबी) टेस्ट के जरिए फिजिकल परफॉर्मेंस का मूल्यांकन किया गया. इन दोनों टेस्टों के आधार पर कम परफॉर्म करने वाले 90 मरीज (39%) पाए गए, जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी.
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18 मरीजों में सार्कोपेनिया की पुष्टिआधी से कम मसल्स ताकत या खराब फिजिकल परफॉर्मेंस के आधार पर अध्ययन में शामिल 98 मरीजों (43%) में संभावित मसल्स लॉस पाया गया. लगभग 18.8% मरीजों में सार्कोपेनिया की पुष्टि हुई, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में लगभग समान थी. गंभीर सार्कोपेनिया 14 मरीजों (6.1%) में पाया गया. गौरतलब है कि भारत में 2021 में डायबिटीज मरीजों की संख्या 7.42 करोड़ थी. अन्य अध्ययनों के आंकड़ों के अनुसार, 40 साल के बाद से मांसपेशियों में तेजी से कमी आती है, जो 70 साल की उम्र तक हर दशक में लगभग 8% कम हो जाती है. इसके बाद 70 साल के बाद हर दशक में ये कमी और तेज होकर 15-25% तक पहुंच जाती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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