Uttar Pradesh

मथुरा में 70 ठाकुरों को चढ़ाया गया था फांसी पर, अंग्रेजों ने ढाए थे जुल्म, इस किले में हुआ था मौत का तांडव

Last Updated:August 01, 2025, 00:02 ISTMathura Latest News: यूपी के मथुरा में 1857 की क्रांति में अंग्रेजों ने 70 ठाकुरों को फांसी पर चढ़ा दिया था. कई दिनों तक गांव वालों पर जुल्म ढाए थे. आइए जानते हैं सबकुछ. मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में आजादी से जुडी यादें आज भी हैं. इन यादों में आज भी वीरों की गाथा लिखी हुई है. 1857 की क्रांति की झलक आज भी मथुरा में देखने को मिल जाएगी. यहीं से शुरू हुआ था. सन 57 का विद्रोह और यहां के 70 ठाकुरों ने बलिदान दिया था. मथुरा से उठी क्रांति की चिंगारी ने पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया और देश से अंग्रजों को भागना पड़ा. आज भी ये किला मथुरा में धरोहर के तौर पर आज भी मौजूद है. इसके लिए का संरक्षण पुरातत्व विभाग के अधिकारी कर रहे हैं. बलिदान की उस धरोहर के रूप में आज भी अडिंग का यह किला मौजूद है.

स्वाधीनता आंदोलन में योगदान इतिहास के पन्नों पर अंकित हैअडींग की मिट्टी में आज भी ब्रजभूमि के रणबांकुरों की शौर्यगाथा की खुशबू आती है. अंग्रेजी हुकूमत ने ब्रज क्षेत्र में 1857 की क्रांति को कुचलने के लिए 70 ठाकुर ग्रामीणों को फांसी पर चढ़ा दिया था. महीनों तक ग्रामीणों पर बर्बर जुल्म ढाए गए. खंडहर के रूप में मौजूद भरतपुर में नरेश सूरजमल की हवेली हंसते-हंसते मौत को गले लगाने वाले आजादी के दीवानों की आज भी गवाह बनी हुई है. मथुरा गोवर्धन मार्ग पर बसा गांव अडींग आजादी के शिल्पकारों की भूमि रहा है.

यहां के लोगों का स्वाधीनता आंदोलन में योगदान इतिहास के पन्नों पर अंकित है. अडींग में आजादी के आंदोलनों की बढ़ती संख्या के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने यहां पुलिस चौकी की स्थापना कर दी थी. 1857 के गदर के समय एक सिपाही अख्तियार ने बैरकपुर छावनी में कंपनी कमांडर को गोली से उड़ा दिया. इतिहास खंगालें तो बैरकपुर छावनी से मेरठ होते हुए देश में जगह-जगह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की पुकार सुनाई देने लगी. मथुरा में भी क्रांति की चिंगारी सुलग उठी.

महीनों तक ग्रामीणों पर बर्बर जुल्म ढाए गए खंडहर के रूप में मौजूद गांव अडिंग के स्थानीय नागरिक दिलीप कुमार यादव बताते हैं कि 30 मई 1857 को घटी इस घटना के बाद इस वीर ने अपने साथियों के साथ आगरा जा रहे. राजकोष के साढ़े चार लाख रूपए को लूट लिया. तांबे के सिक्के और आभूषण छोड़ दिए गए. लूटने के लिए सिपाही और शहरवासी दिन भर जूझते रहे. इन फैक्ट्री विद्रोही सिपाहियों ने जेल तोड़कर क्रांतिकारियों को निकाला और दिल्ली की ओर कूच कर गए. इतिहास बताता है कि 31 मई को इन लोगों ने कोसी पुलिस स्टेशन पर पुलिस बंगले में जमकर लूटपाट की. उन्होंने अंग्रेजों की मुखबिरी के संदेह में हाथरस के राजा गोविंद सिंह को भी वृंदावन स्थित केसी घाट पर मौत की नींद सुला दिया.

1857 की क्रांति को कुचलने के लिए 70 ठाकुर ग्रामीणों को फांसी पर चढ़ा दिया थाविद्रोह की गूंज के कारण तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर जर्नल आगरा ने विद्रोह को दबाने के लिए विशेष सैनिक टुकड़ी बुलाई. इन लोगों ने सराय में 22 जमीदारों को गोलियों से भून दिया. अडींग के क्रांतिकारियों ने भी खजाना लूटने का प्रयास किया. यहां के 70 ठाकुर जाति के लोगों को बाद में अंग्रेजों ने ऐतिहासिक किले पर फांसी दे दी. वहीं, अब यहां स्थानीय लोगों ने शहीद स्मारक बनवाने की सरकार से मांग की है.अभिजीत चौहानन्‍यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्‍टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.न्‍यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्‍टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि. Location :Mathura,Mathura,Uttar PradeshFirst Published :August 01, 2025, 00:02 ISThomeuttar-pradeshइस किले में दी गई थी 70 ठाकुरों को फांसी, 1857 की क्रांति का गवाह है ये किला 

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