मां बनना एक अनमोल अनुभव है, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद मां का खुद की सेहत को नजरअंदाज करना आम बात है. गर्भावस्था और प्रसव के दौरान शरीर में कई बदलाव आते हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है. जिस तरह नवजात के लिए नियमित चेकअप जरूरी होते हैं, उसी तरह प्रसव के बाद मां की सेहत की भी खास देखभाल जरूरी है.
फरीदाबाद स्थित मारेंगो एशिया अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. श्वेता मेंदिरत्ता बताती हैं कि कई बार महिलाएं अपने शरीर में हो रहे बदलावों को सामान्य मानकर अनदेखा कर देती हैं, जो आगे चलकर बड़ी बीमारियों का कारण बन सकते हैं. मदर्स डे के मौके पर आइए जानते हैं वे जरूरी हेल्थ चेकअप्स, जो हर नई मां को जरूर करवाने चाहिए.
1. 6 हफ्ते बाद का नॉर्मल चेकअपडिलीवरी के करीब 6 हफ्ते बाद डॉक्टर से मिलने का समय होता है. इस दौरान शरीर की रिकवरी, टांकों की स्थिति, गर्भाशय की जांच और मानसिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है. इस समय परिवार नियोजन और यौन जीवन पर भी चर्चा की जा सकती है.
2. ब्लड प्रेशर टेस्टकई महिलाओं को गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर होता है, जो डिलीवरी के बाद भी रह सकता है. इससे दिल की बीमारियों का खतरा हो सकता है, इसलिए इसकी नियमित जांच जरूरी है.
3. ब्लड शुगर टेस्टजिन महिलाओं को गर्भावस्था में शुगर (जेस्टेशनल डायबिटीज) था, उन्हें डिलीवरी के 6 से 12 हफ्ते बाद टाइप 2 डायबिटीज के लिए टेस्ट कराना चाहिए.
4. थायरॉइड फंक्शन टेस्टप्रसव के बाद थायरॉइड की समस्या हो सकती है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स हो सकते हैं. इसकी जांच एक साधारण ब्लड टेस्ट से की जा सकती है.
5. हीमोग्लोबिन और आयरन की जांचप्रसव के बाद खून की कमी (एनीमिया) आम है. इसकी जांच से कमजोरी, चक्कर और थकान से बचाव होता है.
6. मेंटल हेल्थ की जांचप्रसव के बाद डिप्रेशन या चिंता होना आम है. इसके लिए एक सरल टेस्ट जैसे “एडिनबर्ग पोस्टनेटल डिप्रेशन स्केल” मदद कर सकती है.
7. पेल्विक फ्लोर की जांचयदि पेशाब में परेशानी या असहजता हो रही हो तो पेल्विक फ्लोर थेरेपी या डॉक्टर से जांच जरूरी है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.