Vaping Risk: अमेरिका के फ्लोरिडा की रहने वाली 5 बच्चों की 25 साल मां, क्लोई आइज (Cloey Eyes), को जुलाई 2024 में एक खौफनाक हेल्थ प्रॉब्लम का सामना करना पड़ा, जब वो तेज सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ के साथ जागीं. पहले तो उन्हें लगा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ रहा है, जिसके बाद उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया.
वैपिंग ही है मुजरिम’द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों ने पता लगाया कि क्लोई के लक्षण उनके वैपिंग की आदत से जुड़े थे. डॉक्टरों ने उन्हें “पॉपकॉर्न लंग” जैसी बीमारी बताई और उनके दोनों फेफड़ों के चारों ओर ऑयल डिपोजिट पाया. उन्हें बताया गया कि ये जमाव ई-सिगरेट के जरिए सांस से लिए जाने वाले पदार्थों के कारण हुआ है, जिससे फेफड़ों में सूजन और नुकसान हुआ है.
स्मोकिंग से वैपिंग में शिफ्टक्लोई ने 20 साल की उम्र में सिगरेट पीना शुरू किया था, लेकिन उन्हें उसकी गंध पसंद नहीं थी. अगस्त 2023 में, 3 साल तक धूम्रपान करने के बाद, उन्होंने वैपिंग (ई-सिगरेट) को एक हेल्दी ऑप्शन मानते हुए इसे अपना लिया. वो 5,000 पफ वाली डिस्पोजेबल वेप का इस्तेमाल करती थीं, और हर दो हफ्ते में एक वेप का यूज करती थीं. वो मानती हैं कि इससे जुड़ी आसानी के कारण वो “लगातार” वैपिंग करती थीं.
हालांकि, वैपिंग की वजह से ऑयली सब्सटांस उनकी सांस में आना शुरू हो गया जो उनके फेफड़ों पर परत बनाने लगे. ये कंडीशन, जो लिपोइड निमोनिया (Lipoid pneumonia) के समान है, तब होती है जब साँस से लिए गए वेपर से निकलने वाले तेल के कण फेफड़ों की हवा की थैलियों (Alveoli) में जम जाते हैं, जिससे सूजन और नुकसान होता है.
जब आया ‘सबसे बुरा’ दिन12 जुलाई 2024 को, क्लोई सुबह 2:30 बजे जागीं. उन्हें सीने में तेज, छुरा घोंपने जैसा दर्द और घुटन महसूस हो रही थी. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, कई बार तो वो सांस लेने की बेचैनी में अपनी छाती पर मार रही थीं. उन्हें डर था कि कहीं उनकी मौत न हो जाए, इसलिए उन्होंने इमरजेंसी हेल्प के लिए कॉल किया.
हॉस्पिटल में, जांच से पता चला कि उनके बाएं फेफड़े में तेल की एक थैली थी और दोनों फेफड़ों पर तेल की परत चढ़ी हुई थी. डॉक्टरों ने इस नुकसान को “पॉपकॉर्न लंग” के समान बताया: ये शब्द ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटेरन्स (Bronchiolitis obliterans) के लिए इस्तेमाल होता है, जो एक रेयर, इरिवर्सिबल लंग डिजीज है जो डायसेटाइल (Diacetyl) जैसे जहरीले केमिकल्स को सांस में लेने से होती है.
पॉपकॉर्न लंग क्या है?”पॉपकॉर्न लंग” फेफड़ों के सबसे छोटे हवा आने के रास्ते में दाग पड़ना है, जो एयरफ्लो को रेस्ट्रिक्ट करता है. इसकी पहचान सबसे पहले 2000 के आसपास अमेरिका में पॉपकॉर्न फैक्ट्री के उन कर्मचारियों में हुई थी, जिन्होंने डायसेटाइल (एक मक्खन-जैसी सुगंध वाला केमिकल) को सांस में लिया था.
हालांकि वैपिंग से सीधे तौर पर पॉपकॉर्न लंग होने के कोई कंफर्म मामले नहीं हैं, फिर भी शुरुआती ई-सिगरेट के फ्लूइड में कभी-कभी डायसेटाइल होता था. यूके में, 2016 में ई-सिगरेट में इस इंग्रेडिएंट पर बैन लगा दिया गया था. फिर भी, वैपिंग ऑयल बेस्ट सब्सटांस के सांस में जाने से लिपोइड निमोनिया जैसी दूसरे कंडीशन पैदा कर सकता है. नजर आने वाले लक्षणों में लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और बुखार शामिल हैं.
इलाज और रिकवरीक्लोई रात भर अस्पताल में रहीं और उन्हें एंटीबायोटिक्स, एक इनहेलर और एक खांसी कम करने वाली दवा देकर छुट्टी दे दी गई. उन्हें बताया गया कि उनके फेफड़ों को पूरी तरह से ठीक होने में एक साल लग सकता है.
हर किसी के लिए सबकये घटना उनके लिए एक चेतावनी थी. उन्होंने तुरंत वैपिंग छोड़ दी, ये कहते हुए कि मौत के डर ने उनके लिए ये फैसला लेना आसान बना दिया. छोड़ने के बाद से, वो बताती हैं कि वो बहुत बेहतर महसूस कर रही हैं और अब उन्हें लगातार सांस फूलने की परेशानी नहीं होती है.
क्लोई की दूसरों को चेतावनीअब, क्लोई वैपिंग के खतरों के बारे में, खासकर माता-पिता को जागरूक करने के लिए डेडिकेटेड हैं. वो दूसरों से गुजारिश करती हैं कि गंभीर नुकसान होने से पहले इसे छोड़ दें. उन्होंने कहा, “भले ही आपको मेरे जैसा दर्द महसूस न हो, लेकिन आपके फेफड़ों से गुज़रने वाले केमिकल आपकी जिदगी के 10 साल कम कर सकते हैं.” वो इस घटना के तुरंत बाद 25 साल की हुई और सोचती हैं कि वो मौत के कितने करीब आ गई थीं.
क्या वैपिंग हार्मलेस है?कई पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट इस बात से सहमत हैं कि वैपिंग, स्मोकिंग से कम नुकसान पहुंचाता है, लेकिन ये हार्मलेस नहीं है. सिगरेट के उलट, ई-सिगरेट तंबाकू नहीं जलाती और उनमें आमतौर पर कैंसर पैदा करने वाले केमिकल कम होते हैं. हालांकि, वो अभी भी निकोटीन (Nicotine) देते हैं और वेपराइज्ड ई-लिक्विड को सांस में लेने के लॉन्ग टर्म इफेक्ट अभी भी क्लियर नहीं हैं. इसके शॉर्ट टर्म साइड इफेक्ट्स में गले और मुंह में जलन, खांसी, सिरदर्द और मतली शामिल हैं. कुछ मामलों में, वैपिंग को फेफड़ों में जलन और सांस की बीमारियों से जोड़ा गया है.
कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक:
1. अभी तक वैपिंग को कैंसर से जोड़ने का कोई ठोस सबूत नहीं है.
2. ई-सिगरेट का यूज सिर्फ स्मोकिंग छोड़ने या फिर से शुरू न करने के लिए किया जाना चाहिए.
3. जो स्मोकिंग नहीं करते, उन्हें इसका यूज शुरू नहीं करना चाहिए.
वैपिंग और लिपोइड निमोनियाक्लोई के फेफड़ों में जमा ऑयली पदार्थ लिपोइड निमोनिया से ज्यादा मिलता-जुलता है, जो एक रेयर कंडीशन है. ये तब होती है जब वसा या तेल फेफड़ों में एंटर करते हैं, जिससे सूजन होती है. वैपिंग के साथ ऐसा हो सकता है क्योंकि कुछ ई-लिक्विड में ऑयल बेस्ड इंग्रेडिएंट्स होते हैं, जो गर्म होने और सांस में लिए जाने पर फेफड़ों के टिशू से चिपक सकते हैं.
वैपिंग से जुड़े लिपोइड निमोनिया का डायग्नोज करना चैलेंजिंग हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण: खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, दूसरे फेफड़ों की समस्याओं के लक्षणों के जैसे होते हैं. ट्रीटमेंट में अक्सर वैपिंग को रोकना, सूजन को कम करने के लिए दवाएं और अगर कोई और इंफेक्शन हो जाता है तो एंटीबायोटिक्स शामिल होती हैं.
वैपिंग के खतरों पर बड़ी तस्वीरहालांकि वैपिंग को अक्सर स्मोक करने वालों के लिए एक सेफ ऑप्शन के रूप में बढ़ावा दिया जाता है, क्लोई जैसे मामले इसकी सेफ्टी के बारे में चिंताएं पैदा करते हैं, खासकर यंग लोगों और ज्यादा इस्तेमाल करने वालों के बीच. लॉन्ग टर्म रिसर्च की कमी का मतलब है कि अनजाने खतरे कई सालों बाद सामने आ सकते हैं.
वैपिंग को लेकर क्या चिंताएं हैं?1. निकोटीन की लत: लंबे समय तक इस्तेमाल और स्मोकिंग में संभावित बदलाव की वजह बन सकती है.
2. केमिकल एक्सपोजर: डायसेटाइल के बिना भी, दूसरे फ्लेवरिंग एजेंट और सॉल्वैंट्स को लंबे समय तक सांस में लेने पर हार्मफुल इफेक्ट हो सकते हैं.
3. रेस्पिरेटरी डैमेज: जलन से लेकर गंभीर फेफड़ों की बीमारी तक होने का रिस्क बना रहता.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)