गर्भवती महिलाओं के लिए नींद बेहद जरूरी है. हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान कम नींद लेने से बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित इस स्टडी में पाया गया कि गर्भवती महिलाएं अगर रात में सात घंटे से कम सोती हैं, तो उनके बच्चों में 6 महीने से 3 साल की उम्र में तंत्रिका विकास में देरी का खतरा अधिक होता है.
अध्ययन का उद्देश्य
चीन के शोधकर्ताओं ने 7,059 मां-बच्चे के जोड़ों के नींद डेटा का विश्लेषण किया. अध्ययन के प्रमुख लेखक, डॉ. पेंग झू बताते हैं कि हमारे निष्कर्ष इस बात पर जोर देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान नींद की गुणवत्ता जरूरी है ताकि बच्चों में लंबे समय तक संज्ञानात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सके.
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तंत्रिका विकास पर प्रभाव
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि गर्भवती महिलाओं की नींद का प्रभाव भ्रूण की ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है, जो बच्चे के तंत्रिका विकास को प्रभावित कर सकता है। अध्ययन में यह भी देखा गया कि लड़कों में इन समस्याओं का जोखिम लड़कियों की तुलना में अधिक होता है.
प्रेगनेंसी में नींद की कमी का कारण
गर्भवती महिलाओं में नींद की कमी का कारण हार्मोनल परिवर्तन, असुविधा और बार-बार पेशाब जैसे समस्याएं है, जो कि प्रेग्नेंसी के साइड इफेक्ट्स हैं.
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नींद में सुधार के उपाय
एक्सपर्ट के अनुसार, प्रेगनेंसी में बेहतर नींद के लिए ठंडे और अंधेरे कमरे में सोना चाहिए. इसके साथ ही सोने से पहले स्क्रीन समय कम करें, आराम के लिए सहायक तकिए का उपयोग करें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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