मानसून आते ही मौसम भले ही सुहाना हो जाए, लेकिन त्वचा के लिए यह मौसम किसी दुश्मन से कम नहीं होता. उमस भरी हवाएं, लगातार पसीना और बंद कपड़ों की वजह से त्वचा पर फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, भारत की लगभग 4.1% आबादी गंभीर फंगल संक्रमण से ग्रस्त है. उत्तर भारत में यह आंकड़ा 61.5% तक पहुंच गया है.
डॉ. मुकेश बत्रा बताते हैं कि मानसून में सबसे पहले निशाना बनते हैं हमारी त्वचा के वो हिस्से जहां पसीना जमा होता है- जैसे बगल, घुटनों के पीछे, जांघों के बीच और गर्दन के पास. यहां लगातार नमी बने रहने से स्किन की नैचुरल डिफेंस लेयर कमजोर हो जाती है, जिससे फंगल और बैक्टीरियल माइक्रोऑर्गैनिज्म पनपने लगते हैं. शुरुआत में हल्की खुजली, जलन या चिपचिपाहट दिख सकती है, लेकिन ध्यान न देने पर ये एलर्जी, फंगल इन्फेक्शन या एक्जिमा जैसे स्किन डिजीज का रूप ले सकते हैं.
क्या कहती है होम्योपैथी?होम्योपैथिक डॉक्टरों के अनुसार, त्वचा की समस्याएं केवल बाहरी नहीं होतीं, ये हमारे शरीर की आंतरिक असंतुलन का संकेत होती हैं. इसके लिए केवल एंटीफंगल क्रीम या लोशन से इलाज न करके शरीर की इम्युनिटी को संतुलित करने की जरूरत होती है. सही होम्योपैथिक दवा के जरिये त्वचा की सेंसिटिविटी को कम किया जा सकता है और फंगल संक्रमण की बार-बार होने वाली समस्या से राहत पाई जा सकती है.
स्किन कैसे रखें हेल्दी?* सूती और ढीले कपड़े पहनें ताकि त्वचा सांस ले सके.* ज्यादा पसीना आने पर तुरंत स्नान करें और त्वचा को सुखाकर रखें.* त्वचा पर भारी और ऑयली क्रीम या मॉइस्चराइजर न लगाएं.* हल्के क्लींजर से दिन में एक बार चेहरा और त्वचा साफ करें.
अपनी स्किन टाइप के अनुसार डॉक्टर से सलाह लेकर स्किन केयर रूटीन अपनाएं.