नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सात साल से अधिक समय बाद चीन की यात्रा की है, जो भारत-चीन संबंधों के विकास में एक महत्वपूर्ण क्षण है। मोदी का शनिवार शाम को तियानजिन में आगमन एक वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के पृष्ठभूमि में हुआ है, जो अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हुआ है, जिसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राजनीतिक भूमिका को बदल दिया है।
इस यात्रा का समय बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोदी रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं और उनके बीच एक उच्च-जोखिम वाले वार्ता होगी, जिसमें “द्विपक्षीय संबंधों को लंबे समय तक स्थिर करने” और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी।
मुलाकात से पहले चर्चा का मुख्य विषय है “स्थिरता”। दोनों देशों का उद्देश्य अपने संबंधों को लंबे समय तक स्थिर बनाना है, साथ ही साथ बड़े राजनीतिक मुद्दों का समाधान करना है। दोनों देश वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं, इसलिए बातचीत का केंद्र बिंदु अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को स्थिर करने के लिए सहयोग करना होगा, जो व्यापार विवादों से प्रभावित हुआ है, विशेष रूप से ट्रंप के टैरिफ से।
एक सूत्र ने कहा, “द्विपक्षीय संबंधों में लंबे समय तक स्थिरता ही दोनों पक्षों का लक्ष्य है, जो एक दूसरे की चिंताओं को समझने और सहनशीलता से काम करने पर आधारित है।”
मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात से भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ सकता है, जो दोनों देशों के लिए एक नई दिशा की शुरुआत कर सकता है।