Last Updated:May 03, 2025, 06:31 ISTDhaincha crop benefits : ये कम उपजाऊ भूमि में भी अच्छी तरह उगता है. इसे बोने के 45 से 50 दिन बाद खेत की जुताई कर दें. जैविक खाद का काम करेगा. X
जिससे यह खेत में मिलकर जैविक खाद का काम करता है.हाइलाइट्सगोरखपुर में 300 कुंतल ढैंचा बीज 50% अनुदान पर उपलब्ध.ढैंचा बीज का मूल्य 116.85 रुपये प्रति किलो, आधा भुगतान किसान करेंगे.ढैंचा बुआई से मिट्टी की उर्वरता और भौतिक दशा में सुधार.Dhaincha Farming/गोरखपुर. रबी की फसल कटाने के बाद खाली पड़े खेतों को यूं ही छोड़ देना मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को कमजोर कर सकता है. हाल ही में हुई बारिश और ओलावृष्टि (Hailstorm) ने इन खाली खेतों की मिट्टी को नर्म बना दिया है, जो ढैंचा (Dhaincha) जैसी हरी खाद की बुआई के लिए बिल्कुल उपयुक्त है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, ये न सिर्फ खेत की तैयारी का आदर्श समय है, बल्कि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने का एक टिकाऊ उपाय भी है. ढैंचा एक ऐसी फसल है, जो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, लोहा, तांबा, मैग्नीशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व मिट्टी में वापस लाती है. इसका उपयोग खेत की जुताई से पहले करने से मिट्टी में जैविक तत्वों की भरपाई होती है और मिट्टी की भौतिक दशा में सुधार आता है. इससे अगली फसल खासकर धान के लिए जमीन पहले से ज्यादा उपजाऊ और तैयार हो जाती है.
सरकारी योजना से राहत
गोरखपुर में 300 कुंतल ढैंचा का बीज 50 फीसदी अनुदान पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम बीज की दर से इसकी बुआई की जा रही है. बीज का मूल्य 116.85 रुपये प्रति किलो है, जिसमें से आधा भुगतान किसानों को करना होता है. कृषि विभाग किसानों को हल्की सिंचाई के साथ बुआई की सलाह दे रहा है, ताकि बीज अंकुरित होकर तेजी से हरी खाद में बदल सके.
कमजोर भी उपजाऊ
कृषि अधिकारियों के अनुसार, ढैंचा की सबसे खास बात ये है कि ये कम उपजाऊ भूमि में भी अच्छी तरह उगता है. इसे खेत में बोने के 45-50 दिन बाद जुताई कर देनी चाहिए, जिससे यह खेत में मिलकर जैविक खाद का काम करता है. तेजी से घटती मिट्टी की उर्वरता और बढ़ती रासायनिक खादों की लागत के बीच ढैंचा जैसी हरी खाद किसानों के लिए आशा की नई किरण है. कृषि वैज्ञानिक इसे प्राकृतिक, सस्ता और प्रभावी उपाय मानते हैं. खेत को उपजाऊ बनाए रखने और उत्पादन बढ़ाने के लिए हर किसान को हरी खाद अपनाने की जरूरत है.
Location :Gorakhpur,Uttar Pradeshhomeagricultureमिट्टी के लिए प्राकृतिक टॉनिक हैं इसके पौधे, बंजर खेत उगलेंगे सोना