मिश्रित खेती से किसानों को फायदा, एक साथ उगा रहें कई फसलें; हो रही मोटी कमाई

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Last Updated:July 06, 2025, 22:08 ISTMixed Farming: मिश्रित खेती करने वाले किसान बताते है कि वे कई दशकों से यह फसल करते आ रहे है. इससे उन्हें कभी भी नुकसान नहीं बल्कि लाखों रुपए का फायदा ही हुआ है.फर्रुखाबाद: आधुनिकता के इस दौर में फर्रुखाबाद के किसान पहले के मुकाबले काफी जागरूक हो गए हैं. वे खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. अब किसान पारंपरिक खेती के अलावा नगदी फसलों पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं. जिससे उनकी कमाई के रास्ते भी खुल गए है. यहां के किसान अब इस खेती के जरिए मोटी कमाई कर रहे है. वे अपने खेतों में मिश्रित फसले उगा रहे है. जिससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है. वह भी कम लागत में.

मिश्रित खेती करने वाले किसान बताते है कि वे कई दशकों से यह फसल करते आ रहे है. इससे उन्हें कभी भी नुकसान नहीं बल्कि लाखों रुपए का फायदा ही हुआ है. कमालगंज के नगरा जैत गांव के निवासी किसान महाराज सिंह बताते है कि वे बचपन से ही मिश्रित खेती करते आ रहे है. जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है. वे कहते है कि इस फसल से उन्हें आज तक नुकसान नहीं हुआ. आमतौर पर प्रति बीघा चार से पांच हजार रुपए की लागत आती है. एक बार फसल तैयार होने के बाद पहले वे सब्जियों की चार माह तक बिक्री करते है.

हरी सब्जियों की बाजार में तगड़ी डिमांडलोकल18 को किसान महाराज सिंह ने बताया कि वे दस वर्षों से लगातार खेती कर रहे है. उनके पास खेती के लिए थोड़ी सी ही भूमि है, ऐसे समय पर वे उसी भूमि में मिश्रित खेती करते है. जिससे उन्हें एक बीघा में पचास से साठ हजार रुपए का मुनाफा हो जाता है. भिंडी की फसल को उगाने में लगभग दो हजार रुपए की लागत आती है. लेकिन एक बार जब खेत से फसल निकलना शुरू होती है तो मंडी में डिमांड बढ़ जाती है. इस समय उनकी भिंडी मंडी में हाथों-हाथ बिक रही है. चालीस रुपए प्रति किलो की दर से बिक्री हो रही है.

मिश्रित खेती का तरीकाकिसान बताते है कि वे अपने खेतों में सबसे पहले भिंडी के बीजों की बुआई करते है. इसके बाद शलजम और चुकंदर के बीजों को बो देते है. फिर क्यारियों के ऊपर धनिया की बुवाई करते है. समय के साथ जब भिंडी की फसल तैयार होती है तो नीचे अन्य फसलें भी तैयार होने लगती है. एक समय पर ही पांच फसलों से हजारों रुपए की कमाई होती है.

क्या है खेती का तरीकाकिसान महाराज सिंह ने बताया कि वे सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके इसमें क्यारियां बनाते है और पहले से तैयार जगह पर भिंडी के बीज बोते है. समय पर सिंचाई करते है. पौधे बड़े होने पर भिंडी निकलने लगती है. जिसे वे मंडी में बेच देते है. जब पौधों से पूरी फसल निकल जाती है, तो वे पौधों को खेत में ही हरी खाद के रूप में इस्तेमाल कर लेते है. यह फसल चार माह तक लगातार उत्पादन देती रहती है. इसमें गोबर से तैयार जैविक खाद का प्रयोग होता है.Location :Farrukhabad,Uttar Pradeshhomeagricultureमिश्रित खेती से किसानों को फायदा, एक साथ उगा रहें कई फसलें; हो रही मोटी कमाई

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