मीरा की जिंदगी में वो लम्हा सबसे दर्दनाक था, जब उसने तीसरी बार अपने होने वाले बच्चे को खो दिया. दो साल में तीन बार गर्भपात और हर बार डॉक्टरों ने बस इतना कहा कि कभी-कभी ये बस किस्मत की बात होती है. ना कोई लंबी बीमारी थी, ना गलत खान-पान, फिर भी मीरा का गर्भ ठहर नहीं पा रहा था. एक चीज जो हर बार थी, वो थी उसकी गंभीर एनीमिया की स्थिति, जिस पर आयरन सप्लीमेंट्स का भी कोई असर नहीं हो रहा था.
फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. आशिता जैन ने बताया कि वजह तब सामने आई, जब मीरा ने थैलेसीमिया स्क्रीनिंग करवाई. जांच में पता चला कि वो बीटा-थैलेसीमिया की कैरियर है एक जेनेटिक (आनुवंशिक) बीमारी, जिसके बारे में उसने पहले कभी सुना भी नहीं था. ये वो सच्चाई है, जो भारत और दक्षिण एशिया की लाखों महिलाओं की जिंदगी को प्रभावित कर रही है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण समय पर इसकी पहचान नहीं हो पाती.
थैलेसीमिया क्या है?थैलेसीमिया एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन और हेल्दी रेड ब्लड सेल्स नहीं बना पाता. इसके चलते शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और व्यक्ति लगातार थकान, चक्कर, सांस की कमी और कमजोर शरीर महसूस करता है. कई बार इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन गर्भावस्था में यह बेहद घातक साबित हो सकता है.
गर्भधारण और थैलेसीमिया का संबंधयदि महिला और पुरुष दोनों थैलेसीमिया कैरियर हैं, तो उनके बच्चे को गंभीर थैलेसीमिया होने का 25% खतरा होता है. यह स्थिति गर्भ में ही एनीमिया, हार्ट फेलियर और हाइड्रोप्स फेटालिस जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है, जो मिसकैरेज या मृत जन्म तक का कारण बन सकती हैं.
क्या करें?अगर महिला में बार-बार गर्भपात हो रहा है, या वह एनीमिया से पीड़ित है, तो थैलेसीमिया स्क्रीनिंग जरूर करवाएं. एक साधारण ब्लड टेस्ट और जरूरत पड़ने पर जेनेटिक टेस्ट से इस स्थिति का समय रहते पता लगाया जा सकता है. गर्भधारण से पहले या शुरूआती महीनों में ये टेस्ट करवा लेना, मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.