प्रयागराज. प्रतिभा कभी भी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती है. चाहे आर्थिक संकट हो, चाहे कच्चे मकान या खपरैल के घर हो. प्रतिभा को कभी भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है. प्रतिभाएं तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निखर कर सामने आती है. बिहार राज्य के छपरा जिले में बनियापुर इलाके में रहने वाले नियजुद्दीन बासुरी बनाने और बेचने का काम करते हैं. पिछले दस सालों से लगतार वह प्रयागराज मेले में आते हैं और बांसुरी बेचते हैं. खास बात यह है कि यह बहुत अच्छे वादक भी है. राह चलते लोग इनकी बासुरी की धुन सुनकर एक बार जरूर ठहर जाते हैं. अगर किसी का थोड़ा भी मन हो तो इनका वादन सुनकर जरूर ही खरीदारी करता है.बिहार के नियाजउद्दीन ने बताया कि उनके गांव में लगभग 250 लोग बांसुरी उत्पादन और विक्रय का काम करते हैं. उनकी तीन पीढ़ी भी इसी व्यवसाय में जुटी है. देशभर में कहीं भी बड़ा आयोजन होता है तो वह बांसुरी बेचने जरूर जाते हैं. इसी से उनके परिवार का जीविकोपार्जन होता है.10 से 60 रुपये तक की बांसुरीनियाजउद्दीन ने बताया कि उनके पास 10 रुपये से लेकर 60 रुपये तक की बांसुरी है. प्रतिदिन करीब 100 से अधिक बांसुरी की बिक्री हो जाती है. मुख्य पर्व एवं त्योहार पर यह आंकड़ा 200 के पार भी पहुंच जाता है.एक बार मे लाते है 5 हजार बासुरी का स्टॉकनवाजुद्दीन ने बताया कि किसी भी त्योहार में जाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं. माघ मेले के लिए उन्होंने प्रयागराज के नैनी में किराए पर कमरा लिया है. जहां उन्होंने 5 हजार बांसुरी संग्रहित कर रखा है. हर दिन करीब 250 बांसुरी की खेप मेले में लेकर जाते हैं और इसे बेचने का प्रयास करते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 21, 2023, 07:14 IST
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