Meerut News: बड़ा ही रहस्यमयी है मेरठ का यह जंगल, हजारों साल पुराना है इसका इतिहास, जानिए यहां का राज

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बड़ा ही रहस्यमयी है मेरठ का यह जंगल, हजारों साल पुराना है इसका इतिहास

Last Updated:May 27, 2025, 09:57 ISTMeerut News: मेरठ के हस्तिनापुर और किला परीक्षितगढ़ में महाभारत कालीन मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं. यहां 50 बीघा में फैला एक जंगल है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है. यह मंदिर काफी रहस्यमयी है.X

जंगल फोटोहाइलाइट्समेरठ का जंगल हजारों साल पुराना है.महाभारत कालीन अर्जुन के वंशज ने मंदिर की स्थापना की.मां दुर्गा स्वयं जंगल की रक्षा करती हैं.

विशाल भटनागर/ मेरठ : क्रांति धरा मेरठ की अगर बात की जाए, तो मेरठ में महाभारत कालीन ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में भी उल्लेख मिलता है. हस्तिनापुर, किला परीक्षितगढ़ दोनों में आपको विभिन्न महाभारत कालीन मंदिर, बूढ़ी गंगा एवं अन्य प्रकार के ऐतिहासिक स्थल देखने को मिलेंगे. कुछ इसी तरह बढ़ला केथवाडी का उल्लेख भी महाभारत कालीन इतिहास से ही जुड़ा हुआ है. क्योंकि यहां पर एक प्राइवेट सेक्टर में 50 बीघा से अधिक क्षेत्रफल में एक जंगल बसा हुआ है, जो कि आज भी रहस्य का विषय बना हुआ है. ऐसे में लोकल-18 की टीम द्वारा भी संबंधित जंगल परिसर में मां झंडा देवी वाले मंदिर के  महंत कर्दम मुनि महाराज से खास बातचीत की.

हजारों साल पुराना है जंगल परिसर 

मंदिर की महंत  कर्दम मुनि महाराज बताती हैं कि  मां झंडेवाली देवी मंदिर परिसर के अंतर्गत यह 50 बीघा से अधिक क्षेत्रफल में घना जंगल बसा हुआ है. जिसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. उन्होंने बताया कि विभिन्न दस्तावेजों में भी आपको इसका उल्लेख मिल जाएगा. वह बताती हैं कि महाभारत कालीन अर्जुन के वशंज कृतपाल सिंह तोमर द्वारा इस जंगल परिसर में मां झंडेवाली देवी अर्थात दुर्गा मां के मंदिर की स्थापना कराई गई थी. क्योंकि उन्हें दुर्गा मां ने जंगल में साक्षात दर्शन दिए थे. तब से लेकर अब तक इस मंदिर और जंगल के प्रति लोगों की विशेष आस्था जुडी हुई है. उन्होंने बताया कि मंदिर में जो मां भगवती की मूर्ति है, वह भी काफी प्राचीन है. विभिन्न दस्तावेजों के अनुसार पांडु पुत्र अर्जुन के वंशज कृतपाल तोमर ने 1059 ई. में मां भगवती की मूर्ति स्थापति की थी.

जंगल की रखवाली करती है मां

कर्दम मुनि महाराज बताती हैं कि यह जो जंगल परिसर है इसकी रक्षा स्वयं मां दुर्गा करती हैं. उन्होंने बताया कि प्राचीन दौर से ही इस जंगल के प्रति लोगों की विशेष आस्था बनी हुई है. ऐसे में आसपास के क्षेत्रवासी भी इस जंगल को कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. क्योंकि कुछ लोगों द्वारा इस जंगल को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया था, जिन्हें परिणाम भुगतने पड़े थे. उसके बाद से ही इस जंगल के प्रति लोगों की विशेष आस्था देखने को मिलती है.  तब से लेकर अब तक मां झंडे वाली देवी के प्रति भी भक्तों की विशेष आस्था है. दूर दराज से श्रद्धालु यहां मां के दर्शन करने पहुंचते हैं.

बताते चलें कि मेरठ डीएफओ राजेश कुमार ने भी लोकल-18 से फोन पर बातचीत करते हुए बताया कि मेरठ से आसपास के क्षेत्र की  अगर बात की जाए तो यह एकमात्र ऐसा जंगल है, जो कि प्राइवेट क्षेत्र में इतना घना है.
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