गठिया और ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएं अब एक नई चिंता का कारण बन रही हैं. नॉर्वे के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया है कि जेनस काइनेज इनहिबिटर (JAK inhibitors) नामक दवाएं वायरस से लड़ने की शरीर की क्षमता को कमजोर कर सकती हैं. इससे कोरोना, इन्फ्लूएंजा और अन्य वायरल संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है.
यह शोध एनएआर मॉलिक्यूलर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है. वैज्ञानिकों ने बताया कि ये दवाएं इम्यून सिस्टम के एक जरूरी सिग्नलिंग प्रोसेस को धीमा कर देती हैं, जो आमतौर पर हेल्दी सेल्स को वायरस से बचाने में मदद करता है.
क्या हैं जेनस काइनेज इनहिबिटर?ये दवाएं आमतौर पर रूमेटॉइड अर्थराइटिस और अन्य सूजन से जुड़ी बीमारियों के इलाज में दी जाती हैं. जैसे- Baricitinib, जो गठिया के इलाज के लिए काफी फेमस दवा है.
रिसर्च में क्या पाया गया?नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NTNU) के वैज्ञानिकों ने फेफड़ों, आंखों और दिमाग से लिए गए मानव सेल्स पर इन दवाओं का असर देखा. उन्होंने मिनी-ऑर्गन मॉडल और जीन विश्लेषण तकनीक का भी उपयोग किया. रिसर्च के मुताबिक, जब इन दवाओं का उपयोग किया गया, तो वायरस से लड़ने वाले जीन की सक्रियता कम हो गई, जिससे शरीर की ‘सिक्योरिटी अलार्म सिस्टम’ कमजोर पड़ गई.
इसका मतलब क्या है?शोधकर्ताओं ने बताया कि इस स्थिति में वायरस जैसे कोरोना वायरस (SARS-CoV-2), एडेनोवायरस, और फ्लू वायरस (Influenza A) तेजी से शरीर में फैल सकते हैं. शोध के प्रमुख लेखक एरलेंड राव्लो ने कहा कि इन दवाओं के उपयोग से वायरल संक्रमणों के दौरान गंभीर खतरा हो सकता है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जिनकी इम्युनिटी पहले से कमजोर है. उन्होंने सलाह दी कि डॉक्टरों को जेनस काइनेज इनहिबिटर देते समय सतर्कता बरतनी चाहिए, खासकर जब कोविड या फ्लू जैसी बीमारियां व्यापक रूप से फैली हों.
वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि कंट्रोल लैब कंडिशन्स में यह साइड इफेक्ट फायदेमंद भी हो सकता है. इससे नई एंटीवायरल दवाओं या वैक्सीन की प्रभावशीलता जांचने में आसानी हो सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.