Last Updated:May 28, 2025, 23:51 ISTMathura News in hindi : भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में कई लीलाएं कीं, जिनमें गोवर्धन पर्वत उठाना और उद्धव को भवसागर से पार लगाना शामिल है. कुसुम सरोवर को भागवत का प्राकट्य स्थल माना जाता है.X
भगवान कृष्ण के परपोते वज्रनाभ के द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया था. मथुरा. ब्रज एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां हर कोई आना चाहता है. भगवान की भक्ति यहां आने वाले व्यक्तियों की सभी चिंताओं को दूर कर देती है. भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा एक ऐसा किस्सा भी हैं, जो आपको हैरान कर देगा. भागवत की उत्पत्ति कहां से हुई और कैसे हुई. ब्रज में भागवत की प्राप्ति किसने की, इसका रहस्य हैरान करने वाला है. श्री कृष्ण ने भागवत में ऐसे श्लोक और ऐसे आशीर्वचन दिए हैं, जो व्यक्ति उन्हें सुन लेता है, भवसागर से पर हो जाता है. उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भागवत गीता कृष्ण का स्वरूप है या यूं कहें कृष्ण ही भागवत गीता हैं.
ब्रज कृष्ण की कहानी और रहस्यों से भरा हुआ है. मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल और राधा कुंड भगवान कृष्ण की लीलाओं के स्थल रहे हैं. यहां पर श्री कृष्ण ने किसी न किसी रूप में अपनी लीलाओं को दिखाया है. गोवर्धन में गोवर्धन पर्वत को उठाकर बृजवासियों को इंद्र के तांडव से बचाया था. राधा कुंड में उद्धव को भवसागर से पार लगाया था. उन्होंने भवसागर पार लगाने के साथ उद्धव को उस चीज का रहस्य बताया था, जो आज सभी लोग भगवत गीता के बारे में सुनते हैं.
लोकल 18 की टीम राधा कुंड पहुंचीं और यहां परिक्रमा मार्ग में स्थित कुसुम सरोवर के बारे में पंडित कन्हैया लाल शर्मा से बात की. पंडित कन्हैया लाल शर्मा ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम में उद्धव जी का मंदिर बना हुआ है. इसे विग्रह कृष्ण के परपौते वज्रनाभ ने स्थापित किया था. उद्धव जी ने कृष्ण से ब्रज का वास मांगा. उद्धव जी ब्रज में रहकर गोपियों की चरण धूल चाहते थे. कृष्ण ने सर्वप्रथम अपना स्वरूप उद्धव जी को कुसुम सरोवर पर ही दिया था. पृथ्वी पर पहली बार कृष्ण की पत्नियों को ही भागवत सुनाई गई थी. राधा कुंड के परिक्रमा मार्ग स्थित कुसुम सरोवर को भागवत का प्राकट्य स्थल माना गया है.
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