कृष्ण गोपाल द्विवेदीबस्ती. नवरात्रि के पवित्र माह में श्रद्धालु जगह-जगह देवी मां के दर्शन के लिए जाते हैं. बस्ती के ऐतिहासिक बलुआ समय माता के मन्दिर में भी श्रद्धालुओं का पूरे दिन जमावड़ा लगा रहता है. मान्यता है कि जो भी कुछ मुरादे श्रद्धालुओं द्वारा समय माता से मांगी जाती है वो जरुर पूरी होती है.

बस्ती जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर दुबौलिया ब्लॉक में स्थित बलुआ समय माता मंदिर काफी प्राचीन और सिद्ध मन्दिर है. बताते हैं की यह मन्दिर दो सौ वर्ष से भी अधिक समय का है. हालांकि सटीक टाइम कोई नहीं बता पाया, फिर भी स्थानीय दो सौ वर्ष से भी अधिक पुराना मन्दिर बताते हैं. यह मन्दिर एकदम सामान्य शैली में बना हुआ है. स्थानीय रमेश चंद्र बताते हैं की दो सौ वर्ष पूर्व कुछ लोग यहां भैंस चराने आए थे तभी झाड़ी में उन्हें ये मन्दिर दिखाई दिया.

फिर लोगों के पशुओं की जब भी तबियत बिगड़ी थी तो लोग यही आते थे और ठीक हो जाते थे. बाद में अन्य लोग भी आने लगे और बलुआ समय माता ने सभी की मुरादे पूरी की.

अंग्रेजों के भी छूट गए थे छक्केमन्दिर के पुजारी पण्डित जगदम्बा प्रसाद ने बताया कि आज से सौ वर्ष पहले अंग्रेज यहां पर रेलवे ट्रैक का निमार्ण करवा रहे थे जो समय माता के मन्दिर के स्थान से होकर गुजर रही थी. लेकिन मां के महिमा के वजह से वो यहां सालों तक काम नहीं करवा सके, जब भी काम कराते कोई न कोई घटना हो जाया करती थी. फिर मजदूरों के कहने पर अंग्रेजों के इंजीनियर्स ने ट्रैक को वहां से तिरछा करके दूर कर दिया. जहां आज भी करीब एक किलोमीटर तक रेलवे लाइन तिरछी है.

होती है मुरादें पूरीपुजारी पण्डित जगदम्बा प्रसाद के अनुसार यू तो यहां पर स्थानीय लोगों के साथ साथ दूर दराज से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. लेकिन मंगलवार के दिन यहां विशेष तौर परज्यादा श्रद्धालु आते हैं, और जो भी कुछ समय माता से मांगते हैं वो जरुर पूरी होती है. यहां हर मंगलवार को एक भव्य और दिव्य मेला भी लगता है.
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