बरेली के कालीबाड़ी स्थित मां काली देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है नवरात्र शुरू होते ही. यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना और चमत्कारी माना जाता है. भक्तों का मानना है कि मां काली सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी करती है. मन्नत पूरी होने पर भक्त यहां कच्चा धागा बांधते हैं और मुराद पूरी होने के बाद उस गांठ को खोलने आते हैं.
माना जाता है कि जो भक्त नकारात्मक ऊर्जा या ऊपरी बाधाओं से पीड़ित होते हैं, उन्हें मां के दर्शन मात्र से ही राहत और मानसिक शांति मिलती है. भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि मां के दिव्य स्वरूप के दर्शन करने से सभी बिगड़े हुए काम बन जाते है. हर साल नवरात्रों के दौरान मंदिर परिसर में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
वैसे तो मंदिर में पूरे साल भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रों के दौरान भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहती है. खासकर महाष्टमी के दिन भारी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं. मां काली मंदिर के प्रमुख महंत ने बताया कि यह 200 साल पुराना मंदिर कई मान्यताओं और चमत्कारों से भरा हुआ है. मां काली के इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मन्नतें लेकर आता है, मां काली उसकी हर मुराद पूरी करती हैं.
इसके अतिरिक्त, यदि किसी व्यक्ति पर ऊपरी हवा का साया होता है, तो यहां के दर्शन मात्र से उसकी यह समस्या भी दूर हो जाती है. इस मंदिर में सालभर में नौ दिन विशेष पूजन होता है, जिसमें भक्त लंबी कतारों में खड़े रहकर मां काली के दर्शन करते हैं.
यह मंदिर सिर्फ बरेली के लोगों की आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि दूर-दराज के शहरों और आस-पास के क्षेत्रों से भी भक्त यहां मां काली का आशीर्वाद लेने आते हैं. विशेषकर नवरात्रों में बाहरी भक्तों की संख्या में काफी वृद्धि होती है. मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों का कहना है कि अक्टूबर में लगता है मेला और मां काली की पूजा विशेष रूप से हर शनिवार को होती है. वे कई सालों से यहां आ रहे हैं और मां काली के दर्शन मात्र से ही उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है.
भक्तों का यह भी मानना है कि यदि कोई व्यक्ति सच्चे दिल से मां काली के चरणों में अपनी अर्जी लगाता है, तो मां उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है. इसके अलावा, जिन व्यक्तियों को भूत-प्रेत या ऊपरी हवा की समस्या होती है, उन्हें मां काली के आशीर्वाद से राहत मिलती है.