Health

Malaria Treatment: researchers discovered natural antibiotic to treat malaria in right way | मलेरिया के इलाज के लिए मिला सटीक रास्ता, शोधकर्ताओं ने खोजा नेचुरल एंटीबायोटिक



मलेरिया एक प्रकार का गंभीर रोग है, जो मुख्य रूप से एनोफेलीस मच्छरों के काटने से होता है. इसका समय पर इलाज कराना आवश्यक होता है. वैज्ञानिकों ने नेचुरल आर्सेनिक युक्त एंटीबायोटिक की खोज करने में सफलता हासिल कर ली है. इससे मलेरिया उन्मूलन में सहायता मिलेगी. यह शोध माइक्रोऑर्गनिज्म नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
फ्लोरिडा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को शोध में यह भी पता चला है कि यह एंटीबायोटिक अमेरिका में 20 वर्षों से लगातार फैल रहे मलेरिया की रोकथाम में भी मददगार है. शोधकर्ताओं ने आर्सिनोथ्रिसीन (एएसटी) का निर्माण किया है, जिससे एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ सकेगा. प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान भी यह साबित हुआ है कि एएसटी से ई कोली और टीबी फैलाने वाले माइक्रोबैक्टीरिया को भी मारा जा सकेगा.अमेरिका में मलेरिया के रोगियों की संख्या बढ़ीदुनिया में हर साल 24 करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं. खासकर अफ्रीका में इसके मरीजों की संख्या ज्यादा होती है. लेकिन हाल ही में अमेरिका के फ्लोरिडा और टेक्सास में वर्ष 2003 के बाद पहली बार मलेरिया के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बायोमॉलेक्यूलर साइंसेज इंस्टीट्यूट में सहायक प्रोफेसर जुन ली का कहना है कि केवल मच्छर मलेरिया के वाहक होते हैं. किसी व्यक्ति को मच्छर के काटने से मलेरिया होता है और उसका खून संक्रमित हो जाता है. 10 दिनों बाद वही मच्छर किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो वह भी संक्रमित हो जाता है. एएसटी के जरिये मलेरिया के इस चक्र को तोड़ने में सफलता मिलेगी.
दूसरी दवाओं से ज्यादा प्रभावीशोधकर्ताओं ने पाया है कि एएसटी में मच्छरों में पाए जाने वाले मलेरिया के कारक परजीवी प्लासमोडियम फाल्सीपारम को रोकने की क्षमता है. यह अब तक की दूसरी मलेरिया रोधी दवा से ज्यादा प्रभावी है. यह शोध मोइकोऑर्गनिज्म नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसके अनुसार आने वाले समय में एएसटी मनुष्यों को मलेरिया से बचाने वाली प्रभावशाली दवा के रूप में विकसित होगी.
दवा से सेल्स को नुकसान नहींशोधकर्ताओं के अनुसार, वर्ष 1900 से ही आर्सेनिक से बनी दवाओं का प्रयोग उपचार में किया जाता रहा है. जब शोधकर्ताओं ने एएसटी का परीक्षण लिवर, किडनी और आंतों की कोशिकाओं से जुड़ी बीमारियों के पर किया, तो पाया कि इससे मरीजों की कोशिकाओं पर प्रभाव नहीं पड़ा.



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