महाकुंभ से कम नहीं होगी माघ मेले की सुरक्षा, खुफिया एजेंसिया रखेंगी नजर
प्रयागराज के संगम तट पर 3 जनवरी 2026 से शुरू होने वाले विश्वप्रसिद्ध माघ मेले की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। पौष पूर्णिमा के पहले स्नान पर्व से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला यह 44 दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन इस बार सुरक्षा के उच्चतम स्तर पर होगा।
हाल ही में दिल्ली के लाल किले पर हुए विस्फोट के बाद इंटेलिजेंस एजेंसियों की ओर से जारी अलर्ट ने मेला प्रशासन को और सतर्क कर दिया है। सुरक्षा व्यवस्था में अभूतपूर्व कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं, ताकि करोड़ों श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सहज वातावरण मिल सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया दौरे और समीक्षा बैठक के बाद मेला क्षेत्र में तैयारियों की रफ्तार और बढ़ गई है। प्रशासनिक, चिकित्सा, परिवहन, साफ-सफाई और आपदा प्रबंधन सभी मोर्चों पर कार्य युद्धस्तर पर जारी है। सबसे अधिक फोकस सुरक्षा पर है, क्योंकि माघ मेले में प्रतिदिन 20 से 25 लाख श्रद्धालुओं और कल्पवासियों के रहने का अनुमान है, जबकि पूरे मेले के दौरान लगभग 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
खुफिया एजेंसियां भी चौबीसों घंटे सक्रिय रहेंगी। सुरक्षा की दृष्टि से अभी से बीडीएस (बम निष्क्रिय दस्ते) टीमों को तैनात कर दिया गया है। बीडीएस टीम डॉग स्क्वॉयड के साथ लगातार मेला क्षेत्र में गश्त और चेकिंग कर रही है, ताकि किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि को पहले ही रोका जा सके।
मेले की सुरक्षा के लिए 17 अस्थायी पुलिस थाने, 42 पुलिस चौकियां और 17 फायर स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। करीब 5000 पुलिसकर्मियों के साथ यूपी एटीएस, एसटीएफ, एलआईयू और कई अन्य खुफिया एजेंसियां भी चौबीसों घंटे सक्रिय रहेंगी।
आस्था और सनातन संस्कृति का विराट उत्सव पूरे मेला क्षेत्र की हाई-टेक निगरानी भी इस बार सुरक्षा का अहम हिस्सा होगी। एआई तकनीक युक्त सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से हर सेक्टर पर नजर रखी जाएगी, जिससे भीड़ नियंत्रण से लेकर आपात स्थितियों तक त्वरित कार्रवाई संभव हो सके। प्रशासन का उद्देश्य है कि माघ मेला आने वाले हर श्रद्धालु, साधु-संत और कल्पवासी खुद को पूर्णतः सुरक्षित महसूस करे, क्योंकि यह केवल आयोजन नहीं बल्कि आस्था और सनातन संस्कृति का विराट उत्सव है।

