Uttar Pradesh

Lucknow News: यूपी में पहली बार डिजिटल अरेस्ट पर सजा, ठग को कोर्ट ने सुनाई 7 साल की कैद, महिला डॉक्टर को लगाया था 85 लाख का चूना

Last Updated:July 18, 2025, 07:46 ISTLucknow News: यूपी में डिजिटल अरेस्ट के मामले में लखनऊ कोर्ट ने पहली सजा सुनाई है. साइबर ठग देवाशीष राय को कोर्ट ने सात साल की जेल और 68000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. देवाशीष ने महिला डॉक्टर को फर्जी सीबीआई अफ…और पढ़ेंLucknow News: digiताल अरेस्ट के मामले में पहली सजा, ठग देबाशीष राय को 7 साल की कैद हाइलाइट्सयूपी में डिजिटल अरेस्ट के मामले में कोर्ट ने सुनाई पहली सजालखनऊ कोर्ट ने साइबर थुड़ देवाशीष राय को सात साल की सजा सुनाईदेवाशीष राय ने महिला डॉक्टर को फर्जी सीबीआई अफसर बनकर चूना लगाया थालखनऊ. उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठगी के पहले मामले में लखनऊ की विशेष सीजेएम कस्टम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आरोपी देवाशीष राय को सात साल की सजा और 68,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. यह सजा लखनऊ की महिला डॉक्टर सौम्या गुप्ता से 85 लाख रुपये की ठगी के मामले में दी गई है, जिसमें आरोपी ने फर्जी सीबीआई और कस्टम अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट का नाटक रचा था. यह उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट ठगी के मामले में पहली सजा है.

मामला 1 मई 2024 का है, जब लखनऊ की केजीएमयू में तैनात डॉ. सौम्या गुप्ता को एक अनजान नंबर से कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और दावा किया कि उनके नाम पर बुक किए गए कार्गो में जाली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एमडीएमए (नशीला पदार्थ) पाया गया है. इसके बाद कॉल को एक फर्जी सीबीआई अधिकारी को ट्रांसफर किया गया, जिसने डॉ. सौम्या को डराने-धमकाने के बाद 10 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. इस दौरान ठगों ने मानसिक दबाव बनाकर उनके बैंक खाते से 85 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए.

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

डॉ. सौम्या ने 1 मई 2024 को लखनऊ के साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई. लखनऊ पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मात्र पांच दिनों के भीतर आरोपी देवाशीष राय को गोमतीनगर विस्तार के मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में देवाशीष ने स्वीकार किया कि उसने फर्जी आईडी पर बैंक खाता खोला और सिम कार्ड हासिल किया था, जिसके जरिए ठगी को अंजाम दिया गया. पुलिस ने बैंक खातों में से छह लाख रुपये फ्रीज करा दिए और अगस्त 2024 में चार्जशीट दाखिल की.

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

विशेष सीजेएम कस्टम कोर्ट, लखनऊ ने इस मामले में रिकॉर्ड समय में सुनवाई पूरी की. महज 438 दिनों में कोर्ट ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419 (प्रतिरूपण), 420 (ठगी), 467/468/471 (जालसाजी) और आईटी एक्ट की धारा 66D (ऑनलाइन धोखाधड़ी) के तहत दोषी ठहराया. कोर्ट ने 16 जुलाई 2025 को देवाशीष राय को सात साल की कठोर कारावास और 68,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. डीसीपी (क्राइम) कमलेश दीक्षित ने इसे साइबर अपराधियों के लिए सख्त संदेश बताया.

डिजिटल अरेस्ट का तरीका

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया और खतरनाक तरीका है, जिसमें ठग फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिए लोगों को डराते हैं. वे दावा करते हैं कि पीड़ित के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी या अन्य गंभीर अपराधों में मामला दर्ज है. इसके बाद वीडियो कॉल के जरिए “डिजिटल अरेस्ट” का नाटक रचकर मानसिक दबाव बनाया जाता है और पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं. इस मामले में ठगों ने डॉ. सौम्या को 10 दिनों तक मानसिक दबाव में रखकर ठगी को अंजाम दिया.

साइबर क्राइम पर शिकंजा

लखनऊ पुलिस की साइबर क्राइम थाना टीम और इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव की प्रभावी पैरवी ने इस मामले में तेजी से सजा सुनिश्चित की. यह सजा अन्य साइबर अपराधियों के लिए एक चेतावनी है. गृह मंत्रालय के अनुसार, इस साल डिजिटल अरेस्ट की 6,000 से अधिक शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिनमें करोड़ों रुपये की ठगी हुई है. लखनऊ पुलिस का दावा है कि वे इस तरह के अपराधों पर नकेल कसने के लिए लगातार काम कर रही है.Amit Tiwariवरिष्ठ संवाददाताPrincipal Correspondent, LucknowPrincipal Correspondent, Lucknow Location :Lucknow,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshयूपी में पहली बार डिजिटल अरेस्ट पर सजा, ठग को कोर्ट ने सुनाई 7 साल की कैद

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