Uttar Pradesh

Lucknow News : इस संस्थान के बच्चों को है आप के सहारे की जरूरत, वीडियो देखकर आप भी हो जायेंगे भावुक



अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. दृष्टि सामाजिक संस्थान जोकि लखनऊ के जानकीपुरम विस्तार के सेक्टर सात में स्थित है, यहां के बच्चों को आपकी मदद की जरूरत है. वजह यह है कि इस संस्थान में मानसिक रूप से विक्षिप्त, दृष्टिबाधित और स्पेशल बच्चे रहते हैं, जिनकी संख्या करीब 254 है. इन बच्चों के पालन पोषण और इनकी सभी सुविधाओं के लिए यहां के लोग लगातार लोन या फिर कर्जा लेकर काम कर रहे हैं.

इस संस्थान की एक खासियत यह भी है कि जिसने इसे शुरू किया था उनका नाम नीता बहादुर था जिनकी मृत्यु वर्ष 2014 में ब्लड कैंसर की वजह से हो गई थी. उनके जाने के बाद से उनकी गद्दी पर यहां कोई उनके परिवार के सदस्य तक नहीं बैठा बल्कि उनकी फोटो कुर्सी पर रख दी गई है.

उनकी उस गद्दी पर आज भी उनकी फोटो ही विराजमान है. उनके जाने के बाद यहां रह रहे बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए नीता बहादुर के बेटे और पति ने भी अपनी नौकरी और सारा काम छोड़कर इसे आगे बढ़ाने में लग गए.

कर्जा लेकर बच्चों की जरूरतों को पूरा किया जा रहानीता बहादुर के बेटे की पत्नी और इस संस्थान की ज्वाइंट डायरेक्टर शालू बहादुर ने बताया कि इसकी शुरुआत 1990 में हुई थी. सिर्फ 50 बच्चे हुआ करते थे उस वक्त. इसकी शुरुआत नीता बहादुर ने की थी. वह इन बच्चों के लिए कुछ करना चाहती थीं. इस संस्थान के लिए उन्हें सरकार की ओर से कई बार पुरस्कार भी मिले हैं, लेकिन उनके जाने के बाद से इस संस्थान में लगातार बच्चे अब बढ़ रहे हैं.

ऐसे में स्पेशल बच्चों के खर्चे ज्यादा होते हैं. इनकी साफ-सफाई, कपड़े , ब्रश और टूथपेस्ट से लेकर इनकी एक-एक दवाई तक बेहद महंगी आती है. ऐसे में बहुत मुश्किल से लोन लेकर या फिर कर्जा लेकर इन बच्चों की सभी जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. मां ने इस संस्थान को आगे बढ़ाने का सपना देखा था इसीलिए इन बच्चों का साथ अब नहीं छोड़ सकते.

बेहद खास हैं ये बच्चे इस संस्थान में लड़के और लड़कियां दोनों हैं. दोनों को अलग अलग रखा जाता है. दोनों की अलग-अलग कक्षाएं चलती हैं. यहां पर लड़कों को सिलाई, बुनाई से लेकर उन्हें कलात्मक बनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा लड़कियों को भी ज्वेलरी बनाने से लेकर क्राफ्ट के सामान तक बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इन बच्चों के बनाए हुए सामानों को बाजार में बेचकर ही संस्थान किसी तरह इनकी जरूरतों को पूरा कर रही है.

शालू ने बताया कि यहां पर एक आईसीयू भी है जहां पर एक नर्स रहती है ताकि कोई भी बच्चा बीमार पड़े तो उसे तत्काल इलाज मिल जाए. उन्होंने बताया कि जो खास बच्चे होते हैं इनकी डाइट भी ज्यादा होती है, क्योंकि इन्हें ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रीशन की जरूरत होती है इसीलिए बहुत बड़ी मात्रा में यहां रोज खाना बनाया जाता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि बच्चों की कक्षा के लिए जो जरूरी सामान होता है उसकी व्यवस्था भी संस्थान ही करता है.

आप भी बन सकते हैं सहारायहां की ज्वाइंट डायरेक्टर शालू ने बताया कि यहां किसी भी तरह का कोई कैश नहीं लिया जाता है, अगर लोग मदद करना चाहते हैं तो पुराने कपड़े दे सकते हैं. इसके अलावा जूते चप्पल या मेडिकल मदद के अलावा राशन की मदद कर सकते हैं.
.Tags: Local18, Lucknow news, UP newsFIRST PUBLISHED : June 28, 2023, 14:55 IST



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