Last Updated:July 29, 2025, 08:12 ISTLucknow News: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने विद्युत् कर्मचारियों को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट शेयर कर कहा कि विद्युत् कर्मचारियों के वेश में कुछ ‘अराजक तत्व’ हैं जो …और पढ़ेंMau News: यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली कर्मचारियों पर लगा बड़ा आरोप हाइलाइट्सऊर्जा मंत्री एके शर्मा की सुपारी लेने वालों में कुछ विद्युत कर्मचारीविद्युत् कर्मचारी की वेश में कुछ अराजक तत्व ऊर्जा मंत्री की चव्वी धूमिल कर रहेपोस्ट में लिखा कि ये वही लोग हैं जिनकी वजह से बिजली विभाग बदनाम हो रहा हैलखनऊ. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली विभाग के कुछ कर्मचारी नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने आधिकारिक हैंडल से पोस्ट करते हुए शर्मा ने कहा कि कुछ “अराजक तत्व” विद्युत कर्मचारियों के वेश में उनके खिलाफ “सुपारी” लेकर काम कर रहे हैं. विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ ने भी मंत्री के आरोपों का समर्थन किया और कहा कि संघर्ष समिति का प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित है.
एके शर्मा ने अपने पोस्ट में दावा किया कि उनके तीन साल के कार्यकाल में बिजली कर्मचारी यूनियन ने चार बार हड़ताल की, जिसमें पहली हड़ताल उनके मंत्री बनने के महज तीन दिन बाद ही होने वाली थी. उन्होंने आरोप लगाया कि ये हड़तालें बाहरी ताकतों से प्रेरित थीं, जिन पर अंततः हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा. शर्मा ने सवाल उठाया कि अन्य विभागों में ऐसी हड़तालें क्यों नहीं हो रही हैं और क्या वहां यूनियन या समस्याएं नहीं हैं?
उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ कर्मचारी नेता उनके सरकारी निवास पर निजीकरण के विरोध के नाम पर छह घंटे तक प्रदर्शन कर अभद्रता और असभ्य भाषा का इस्तेमाल करते रहे. शर्मा ने कहा कि उन्होंने इन प्रदर्शनकारियों को मिठाई और पानी देकर शांत करने की कोशिश की और ढाई घंटे तक उनसे मिलने का इंतजार किया.
निजीकरण पर सवाल और जवाब
शर्मा ने निजीकरण के मुद्दे पर कर्मचारी नेताओं को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि 2010 में आगरा का निजीकरण टोरेंट पावर को सौंपा गया था, तब यही यूनियन नेता मौजूद थे और वह प्रक्रिया कथित तौर पर शांतिपूर्ण रही क्योंकि कुछ नेता “विदेशी पर्यटन” पर चले गए थे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निजीकरण जैसे बड़े फैसले अकेले उनके द्वारा नहीं लिए जा सकते, क्योंकि एक जूनियर इंजीनियर का तबादला भी ऊर्जा मंत्री के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. निजीकरण की पूरी प्रक्रिया मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स और राज्य सरकार की उच्चस्तरीय मंजूरी के तहत हो रही है.
विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ का समर्थन
दूसरी ओर, विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष आरएस राय ने कहा कि संघर्ष समिति द्वारा ऊर्जा मंत्री पर लगाए गए आरोप सरकार और विभाग की छवि को धूमिल करने की कोशिश हैं. उन्होंने दावा किया कि 2023 में भी संघर्ष समिति ने तीन दिन की हड़ताल की थी, जिसके बाद करीब 5,000 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं. राय ने यह भी आरोप लगाया कि संघर्ष समिति ने पूर्व अध्यक्ष एम. देवराज जैसे “ईमानदार” व्यक्ति को हटाने की साजिश रची थी. महासंघ ने एक बैठक में संकल्प लिया कि वे कर्मचारियों के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट रहेंगे और किसी भी राजनीतिक चाल को सफल नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि निजीकरण विरोध के नाम पर यह आंदोलन कुछ लोगों के राजनीतिक लाभ के लिए मोड़ा जा रहा है.
बिजली विभाग पर पहले भी उठे सवाल
हाल के दिनों में एके शर्मा बिजली विभाग के अधिकारियों पर कई बार नाराजगी जता चुके हैं. हाल ही में मुरादाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान 10 मिनट की बिजली कटौती के बाद पांच वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था. इसके अलावा, बस्ती के एक अधिकारी को उपभोक्ता शिकायत के प्रति असंवेदनशील व्यवहार के लिए निलंबित किया गया. शर्मा ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि जनता की शिकायतों का त्वरित समाधान करना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए.
अखिलेश यादव ने कसा था तंज
विपक्षी नेता और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बिजली संकट को लेकर सरकार और शर्मा की आलोचना की है. उन्होंने X पर टिप्पणी की कि “मंत्री और अधिकारियों का कनेक्शन टूट चुका है,” और जब तक बीजेपी सत्ता में है, बिजली की समस्या बनी रहेगी.Amit Tiwariवरिष्ठ संवाददाताPrincipal Correspondent, LucknowPrincipal Correspondent, Lucknow Location :Lucknow,Lucknow,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshमेरी ‘सुपारी’ लेकर काम कर रहे कर्मचारी, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का बड़ा आरोप