लखीमपुर खीरी: हल्दी की खेती में कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है और बाजारों में हल्दी की मांग पूरे साल रहती है. यह खेती न केवल किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया बन रही है, बल्कि औषधीय गुणों और पर्यावरण संतुलन में भी मददगार है.
हल्दी की खेती अप्रैल महीने के अंत में शुरू होती है और जून की शुरुआत में रोपाई की जाती है. हल्दी की खेती में खर्च कम होता है और मुनाफा अन्य फसलों से अधिक होता है. हल्दी की खेती में ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती और लगभग 8 से 10 महीने की खेती में 2 से 3 बार ही मजदूरों से काम करवाना पड़ता है. फरवरी महीने में हल्दी की खुदाई शुरू होती है.
लखीमपुर खीरी जिले के पलिया तहसील क्षेत्र में किसान अब हल्दी की खेती करने लगे हैं. किसानों ने बताया कि हल्दी की खेती के लिए कच्ची मिट्टी बहुत ही उपयोगी मानी जाती है. वहीं दूसरी ओर, जंगली जानवरों और आवारा जानवरों की समस्या को लेकर भी किसान परेशान हैं. किसानों ने अब हल्दी की खेती करना शुरू कर दिया है, क्योंकि हल्दी की फसल को आवारा और जंगली जानवर बर्बाद नहीं कर पाते हैं.
हल्दी की खेती के लिए सही तापमान और बारिश की आवश्यकता होती है. किसान हरप्रीत सिंह ने बताया कि हम इस समय 8 एकड़ में हल्दी की खेती कर रहे हैं. हल्दी की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु में 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 225-250 सेंटीमीटर बारिश की ज़रूरत होती है.
लखीमपुर खीरी जिले में हल्दी की खेती का यह नया प्रयोग सफल हो रहा है. किसानों को हल्दी की खेती से अच्छा मुनाफा हो रहा है और वे इसे और भी बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं.