सुमित राजपूत/नोएडा. उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुमंजिला इमारतों में लिफ्ट हादसों की गंभीरता को देखते हुए लिफ्ट एक्ट 2024 को प्रदेश भर में लागू किया था. इस कानून के लागू होने के बाद माना जा रहा था कि लिफ्ट संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी. लेकिन, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद की हकीकत इससे अलग है. इन तीनों क्षेत्रों की हाईराइज सोसायटियों में आज भी लिफ्ट अटकने, गिरने और तकनीकी खराबियों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे लाखों निवासियों की चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही.
लिफ्ट खराब होने पर करें ये काम जरूरी
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से लाए गए लिफ्ट एक्ट 2024 के अंतर्गत अब किसी भी लिफ्ट या एस्कलेटर को लगाने से पहले बिल्डिंग स्वामी को संबंधित प्राधिकरण व प्रशासन से पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है. साथ ही, संचालन से पहले ही एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (AMC) कराना भी जरूरी है, ताकि लिफ्ट की समय-समय पर तकनीकी जांच हो सके. इतना ही नहीं, कानून कहता है कि हादसा होने की स्थिति में 24 घंटे के भीतर जिला मजिस्ट्रेट, प्राधिकरण और स्थानीय कोतवाली को इसकी सूचना देना अनिवार्य होगा. जांच पूरी होने तक लिफ्ट को दोबारा चालू नहीं किया जा सकेगा.
सोसाइटी में रहते है 10 लाख लोग
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बहुमंजिला इमारतें गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में हैं. अकेले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 600 से अधिक हाउसिंग सोसायटीज़ और करीब 310 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं, जिनमें करीब 4.5 लाख फ्लैट हैं और लगभग 10 लाख लोग निवास करते हैं. इन सभी को लिफ्ट एक्ट से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन जमीनी हकीकत अब भी परेशान करने वाली है.
ये बताई समस्याग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटी में रहने वाले दिनकर पांडे, रोहित कुमार और अभिषेक कुमार ने बताया कि ऐसा कोई दूसरा दिन नहीं जाता जब किसी न किसी सोसाइटी में लिफ्ट अटकने या खराब होने की सूचना न मिलती हो. अधिकारियों और बिल्डर से शिकायत करने के बावजूद मेंटेनेंस टीम समय पर नहीं पहुंचती. लिफ्ट एक्ट के बाद हमें लगा था कि स्थिति सुधरेगी, लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ा. वहीं, देर रात एक निजी अस्पताल में लिफ्ट अटकने से 16 लोग, जिनमें मरीज और तीमारदार मौजूद थे, फंस गए. उन्हें करीब 40 मिनट बाद रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया. इसी तरह लिफ्ट अटकने की एक घटना गाजियाबाद से भी सामने आई है.
डीएम ने कहा लिफ्ट रजिस्ट्रेशन की जांच जारीइस संबंध में जब गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि लिफ्ट एक्ट को लेकर प्रशासन पूरी गंभीरता से काम कर रहा है. सभी सोसायटियों को एक्ट लागू होने के बाद छह महीने के अंदर लिफ्ट पंजीकरण कराने का आदेश दिया गया था. फिलहाल हमारी टीम जांच कर रही है कि कितने बिल्डर और सोसायटियां पंजीकृत नहीं हैं. जो भी तथ्य निकलकर आएंगे, उनके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
लिफ्ट एक्ट की खास बातें1) हर लिफ्ट व एस्कलेटर का पंजीकरण अलग-अलग श्रेणियों (निजी और सार्वजनिक) के लिए अनिवार्य होगा.2) संचालन से पहले राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी को सूचना देना जरूरी है.3) साल में दो बार आपात स्थिति की मॉक ड्रिल कराना जरूरी है.4) किसी तकनीकी खराबी की मरम्मत के बाद AMC टीम से प्रमाण पत्र लेना होगा.5) सभी लिफ्टों का बीमा होना अनिवार्य है ताकि दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों को कवर मिल सके.6) सार्वजनिक स्थानों पर CCTV कैमरा और स्वचालित बचाव इक्यूपमेंट लगाना अनिवार्य किया गया है.
इन राज्यों में पहले से है लिफ्ट कानूनदरअसल, इससे पहले महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल समेत देश के 10 राज्यों में लिफ्ट एक्ट पहले से लागू है. अब उत्तर प्रदेश देश का 11वां राज्य है, यहां यह कानून बनाकर लागू किया गया है. इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि बहुमंजिला इमारतों में लिफ्ट संचालन अधिक सुरक्षित और मानक आधारित होगा, लेकिन अभी तक स्थिति इसके उलट देखी जा रही है.