उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में शारदा नदी तराई क्षेत्र के गांवों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। लगातार कटान के कारण गांवों के मकान नदी में समा रहे हैं। यह दृश्य देखकर लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है।
ग्रामीणों ने मेहनत मजदूरी कर अपने रहने के लिए आशियाना बनाया था, लेकिन शारदा की तबाही का मंजर उनकी आंखों के सामने लाखों रुपए की लागत से बनाया गया मकान नदी में समा रहा है। इससे लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है। अधिकारियों की उदासीनता के चलते लोग बेबस हो गए हैं। कटान रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है।
ग्रांट नंबर 12 गांव में करीब 90 से अधिक मकान नदी में समा चुके हैं। इस गांव के लोग अब सड़क किनारे जीवन यापन करने को मजबूर हो गए हैं। लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है और लोग गांव छोड़कर पलायन करने लगे हैं। शारदा की तबाही का मंजर जारी है, नदी का कटान लगातार गांव की ओर बढ़ते आ रहा है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों की कृषि युक्त जमीन भी लगातार नदी में समा रही है। दिन हो या रात, लगातार कटान जारी है। कुछ दिनों बाद ग्रांट नंबर 12 गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, और यह गांव सिर्फ कागजों पर दिखाई देगा, धरातल पर गांव नहीं मिलेगा। इस गांव की आबादी करीब 1800 के आसपास है।
इस स्थिति को देखकर यह लगता है कि अगर समय से कटान रोकने को लेकर कोई योजना बना ली जाती तो शायद गांव का अस्तित्व समाप्त नहीं होता। लेकिन अब समय ही जवाब देगा कि क्या कोई मदद मिलेगी या नहीं।