अलीगढ़ में एक दिलचस्प मामला सामने आया है, जिसमें एक लड़की पर जिन्न आशिक होने का दावा किया गया है. ऐसे मामले अक्सर सुनने में आते हैं, जहां जिन्नात किसी इंसान के प्रति मोहब्बत या तअल्लुक का दावा करते हैं, और उनके फैसलों, रिश्तों और जिंदगी में सीधी दखलअंदाजी करने लगते हैं.
शाही चीफ मुफ्ती ऑफ उत्तर प्रदेश मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन ने बताया कि यह सिर्फ कहानी नहीं, बल्कि कई लोगों के अनुभवों में देखने को मिला है. उनके अनुसार, कभी-कभी जिन्नात किसी महिला या पुरुष पर इस कदर असर डालते हैं कि वे मोहब्बत या कब्जे का दावा करने लगते हैं. ऐसे मामलों में व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक परेशानियों का शिकार होता है, जैसे शादी में रुकावटें, रिश्तों का टूटना या बिना वजह बीमारी महसूस होना. अक्सर ऐसी चीजें देखने को मिलती हैं.
मौलाना साहब के मुताबिक, अगर जिन्न किसी महिला का आशिक बन जाए, तो माना जाता है कि वह उसकी शादी होने नहीं देता. लड़की का अचानक मिजाज बदल जाना, बार-बार रिश्ते मना करना, बेवजह घबराहट या नफ़्सी परेशानियां- ये ऐसे लक्षण हैं जो अक्सर लोगों द्वारा बताए जाते हैं. उनका कहना है कि जिन्नात ज़्यादातर उन लोगों की ओर रुख करते हैं जिनमें रूहानी कमजोरी या पाकीजगी की कमी हो. माना जाता है कि शैतान और जिन्नात गंदगी, बुरी आदतों और ग़ैर-पसंदीदा माहौल को पसंद करते हैं.
जिन्नात के असर से बचाव के लिए पाकीज़गी और रूहानी अमल अहम हैं… हमेशा वजू में रहना, पांच वक्त की नमाज, घर और शरीर की सफाई, सूरह फलक, सूरह नास, आयतुल कुर्सी का विर्द, सूरह बकरा की तिलावत, या घर में पढ़ाई- ऐसे अमल रूहानी तौर पर इंसान को मजबूत करते हैं और नकारात्मक असरात से बचाते हैं.
मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन ने बताया कि जिन्नात के असर से बचाव के लिए सबसे पहले अपनी रूहानी हिफाजत को मजबूत करना होगा. इसके लिए हमें वजू, नमाज, घर और शरीर की सफाई, सूरह फलक, सूरह नास, आयतुल कुर्सी का विर्द, सूरह बकरा की तिलावत, या घर में पढ़ाई करनी चाहिए. ऐसे अमल रूहानी तौर पर इंसान को मजबूत करते हैं और नकारात्मक असरात से बचाते हैं।
उनके अनुसार, जिन्नात के असर से बचाव के लिए सबसे पहले अपनी रूहानी हिफाजत को मजबूत करना होगा. इसके लिए हमें वजू, नमाज, घर और शरीर की सफाई, सूरह फलक, सूरह नास, आयतुल कुर्सी का विर्द, सूरह बकरा की तिलावत, या घर में पढ़ाई करनी चाहिए. ऐसे अमल रूहानी तौर पर इंसान को मजबूत करते हैं और नकारात्मक असरात से बचाते हैं।
अंत में, मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन ने कहा कि जिन्नात के असर से बचाव के लिए सबसे पहले अपनी रूहानी हिफाजत को मजबूत करना होगा. इसके लिए हमें वजू, नमाज, घर और शरीर की सफाई, सूरह फलक, सूरह नास, आयतुल कुर्सी का विर्द, सूरह बकरा की तिलावत, या घर में पढ़ाई करनी चाहिए. ऐसे अमल रूहानी तौर पर इंसान को मजबूत करते हैं और नकारात्मक असरात से बचाते हैं।

