Uttar Pradesh

क्या इंटरक्रॉपिंग से बदलेगी यूपी-बिहार के गन्ना किसानों की किस्मत? जानें AMU की एक्सपर्ट की राय

Last Updated:December 15, 2025, 11:05 ISTBenefits of intercropping In Sugarcane Crop : गन्ना खेती की बढ़ती लागत और लंबी अवधि से जूझ रहे किसानों के लिए इंटरक्रॉपिंग एक बेहतर समाधान बनकर उभर रही है. एएमयू की कृषि विशेषज्ञ सालेहा जमाल ने बताया कि गन्ने के साथ दालें, तिलहन और सब्जियों की खेती करने से किसानों को सालभर नियमित आय मिल सकती है.अलीगढ़ : गन्ने की खेती देश की प्रमुख फसलों में गिनी जाती है, लेकिन बढ़ती लागत, अधिक पानी की जरूरत और लंबी अवधि के कारण किसानों को इससे अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल पाता. ऐसे में यदि गन्ने की खेती आधुनिक तकनीक और इंटरक्रॉपिंग के साथ की जाए, तो किसान सालभर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. गन्ने के साथ सब्जियों या दालों की खेती करने से न सिर्फ आमदनी बढ़ती है, बल्कि खेती अधिक टिकाऊ और लाभकारी भी बनती है.

एएमयू की एसोसिएट प्रोफेसर एवं कृषि विशेषज्ञ सालेहा जमाल बताती हैं कि भारत विश्व में गन्ना उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है. हालांकि गन्ने की खेती कई चुनौतियों से जुड़ी हुई है. इसकी सबसे बड़ी समस्या अधिक पानी की जरूरत है, जिससे सिंचाई लागत बढ़ती है और कई क्षेत्रों में जलस्तर गिरने का खतरा बना रहता है. इसके अलावा गन्ने में कीट और बीमारियां जल्दी लगती हैं, जिससे कीटनाशकों और उर्वरकों पर खर्च बढ़ जाता है. यह फसल मिट्टी से पोषक तत्व भी तेजी से खत्म करती है, जिससे उर्वरता पर असर पड़ता है और किसानों की मेहनत व लागत दोनों बढ़ जाती हैं.

गन्ने की खेती में इंटरक्रॉपिंग अच्छा ऑप्शनसालेहा जमाल ने बताया कि गन्ना एक लंबी अवधि की फसल है. इसकी बुवाई आमतौर पर फरवरी से शुरू होती है और कटाई नवंबर से होती है. एक बार बोने के बाद किसान इससे 2 से 3 साल तक उत्पादन ले सकता है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि पूरी आमदनी मिलने में एक से डेढ़ साल का समय लग जाता है. इससे किसानों की नियमित आय प्रभावित होती है. इसी समस्या के समाधान के लिए गन्ने के साथ इंटरक्रॉपिंग को एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है. गन्ने के खेत में उसके साथ दालें, तिलहन और अलग-अलग तरह की सब्जियां उगाई जा सकती हैं. उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह तरीका पहले से अपनाया जा रहा है. इंटरक्रॉपिंग से किसानों को सालभर अतिरिक्त आय मिलती रहती है और गन्ने की फसल तैयार होने तक आर्थिक संतुलन बना रहता है.

कर्नाटक, तमिलनाडु में गन्ने के अधिक उत्पादन का राजसालेहा जमाल का कहना है कि कम लागत में बेहतर उत्पादन के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाना भी जरूरी है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में गन्ने का अधिक उत्पादन होने का कारण वहां उन्नत और हाइब्रिड किस्मों का इस्तेमाल है, जो कम बीमारियों के साथ ज्यादा उपज देती हैं. साथ ही पानी की बचत के लिए ड्रिप इरीगेशन जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीक बेहद कारगर है. इससे पानी का सीमित और सही उपयोग होता है, लागत घटती है और फसल को पर्याप्त नमी मिलती है. कुल मिलाकर, इंटरक्रॉपिंग, उन्नत बीज और आधुनिक सिंचाई के साथ गन्ने की खेती किसानों के लिए ज्यादा लाभकारी साबित हो सकती है.About the Authormritunjay baghelमीडिया क्षेत्र में पांच वर्ष से अधिक समय से सक्रिय हूं और वर्तमान में News-18 हिंदी से जुड़ा हूं. मैने पत्रकारिता की शुरुआत 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से की. इसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड चुनाव में ग्राउंड…और पढ़ेंLocation :Aligarh,Uttar PradeshFirst Published :December 15, 2025, 11:05 ISThomeagricultureक्या इंटरक्रॉपिंग से बदलेगी यूपी-बिहार के गन्ना किसानों की किस्मत?

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