रजनीश यादव/प्रयागराज: प्रयागराज को समस्त तीर्थों का राजा कहा जाता है इसीलिए इसे तीर्थराज प्रयाग भी कहते हैं. इसका प्रयाग नाम पड़ने के पीछे की मुख्य वजह है कि पृथ्वी पर सबसे पहले यज्ञ प्रयागराज में ही किया गया. गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्र संगम पर सबसे पहले यज्ञ किया गया. इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है. इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहां भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था. इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहां माधव रूप में विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां भगवान के 12 स्वरूप विध्यमान हैं. प्रयागराज गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम स्थल है. इस शहर को तीर्थराज या त्रिवेणी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म के लिए यह प्रमुख स्थान है. इतिहासकारों के मुताबिक प्रयाग की प्रारंभिक बस्तियों को आर्यों ने स्थापित किया था.अगर आप प्रयागराज घूमने आते हैं और प्रयागराज देवता का दर्शन करना चाहते हैं, तो संगम किनारे स्थित अकबर के किले में पातालपुरी मंदिर में प्रयागराज देवता की मूर्ति स्थापित है जो की बहुत ही प्राचीन मूर्ति है. अक्षय वट वृक्ष के नीचे स्थित पातालपुरी मंदिर में प्रवेश करते ही सबसे पहले आपको प्रयागराज के रक्षक प्रयागराज देवता की मूर्ति मिलती है. इनके दर्शन से ही पातालपुरी मंदिर में स्थापित विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का दर्शन हो पाता है. इस पातालपुरी मंदिर में अक्षय वट वृक्ष के पास एक शिवलिंग है. जिस पर औरंगजेब की तलवार का कुछ असर नहीं हुआ और उसकी तलवार टूट गई.कौन है प्रयागराज देवता?मंदिर के पुजारी योगी रविंद्र नाथ की यह 14वीं पीढ़ी है जो इस मंदिर की देखभाल और पूजा कर रहे हैं. योगी रविंद्र नाथ बताते हैं कि बहुत कम लोगों को ही यह जानकारी है कि प्रयागराज नाम के कोई देवता भी हैं. लोगों को पता होता है कि पृथ्वी पर सबसे पहले यज्ञ तो प्रयागराज में हुआ लेकिन इस स्थान का नाम प्रयागराज क्यों रखा गया यह बहुत कम लोगों को पता होता है. इस नाम के पीछे प्रयागराज देवता का ही नाम है.पातालपुरी मंदिर में देवता की प्रतिमाप्रयागराज भगवान की कृपा से हमारा नगर सुरक्षित रहता है. पातालपुरी मंदिर में स्थापित प्रयागराज कि ये प्रतिमा काफी प्रभावशाली दिखती है. जो की प्राचीनता से भरपूर है. इसके साथ यहां पर हजार वर्ष पुरानी भी कई देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं. जिसको देखने के बाद लोग अचंभित होते हैं कि इतनी प्राचीन मूर्तियां आज भी विद्यमान है..FIRST PUBLISHED : November 5, 2023, 17:17 IST
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