06 मान्यता के अनुसार, यह कमल कुंड द्वापर कालीन है. मां कीर्ति इस कुंड में स्नान करने के लिए प्रतिदिन आया करती थीं. कहा जाता है कि कुंड से यमुना जी बिल्कुल सटी हुई थी और यमुना का किनारा इस कुंड से होकर गुजरता था. एक दिन, जब मां कीर्ति स्नान करने के बाद वापस लौट रही थीं, तो उनके हाथों से एक कमल का पुष्प टकरा गया. उन्होंने उस कमल पुष्प को हाथों में लेकर देखा, तो उसकी पंखुड़ियां अपने आप खुल गईं. उस कमल पुष्प में एक सुंदर सी कन्या खिलखिला कर हंस पड़ी.