पीलीभीत टाइगर रिजर्व में प्रवासी पक्षियों का आगमन
पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रमुख रूप से बाघों के लिए जाना जाता है, लेकिन पक्षियों के दीदार के शौकीनों के लिए यह स्वर्ग से कम नहीं है। यहां की अनुकूल आबोहवा के चलते यहां बड़ी तादाद में प्रवासी पक्षी भी देखे जाते हैं। सितंबर के आखिर से लेकर अक्टूबर की शुरुआत के दौरान यहां दर्जनों दुर्लभ प्रवासी पक्षियों की आमद दर्ज की जाएगी।
सर्दियों के मौसम में प्रवासी मेहमानों में रेड क्रेस्टेड पोचार्ड एक महत्वपूर्ण मेहमान है। यह एक बड़ी बत्तख होती है जिसका वजन 900 ग्राम से लेकर 1400 ग्राम तक होता है। सर्दियों के मौसम में इसे मीठे पानी की झीलों, तालाबों या फिर धीमी गति से बहने वाली नदियों के किनारे देखा जाता है। कॉमन पोचार्ड एक गोताखोर बत्तख है, जो प्रमुख रूप से जलीय पौधों को खाती है। ऐसे में भोजन के लिए इसे अक्षर पानी में गोता लगाते देखा जाता है। यह अक्सर झुंड में ही देखी जाती है।
महेश का घोंसला जमीन पर या फिर पानी के आसपास बना होता है। अन्य पक्षियों के साथ ही साथ रूडी शेल्डक भी उत्तर भारत में प्रवास करती है, जिसे ब्राह्मणी बतक के नाम से भी जाना जाता है। इसे अक्सर खुला क्षेत्र में देखा जाता है, वहीं यह रात्रिचर जीव होती है। यह पक्षी हिमालय को पार करने के बाद भारत आता है, और यह 6800 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है।
बार हेडेड घूस भी उन तमाम प्रवासी पक्षियों में शुमार है जो शीतकाल में प्रवास पर भारत आते हैं। मगर यह पक्षी अपनी ऊंची उड़ान के लिए जाना जाता है। यह 30000 फीट (9144 मीटर) ऊंची उड़ान भर सकता है। इस पक्षी को ठंडे से ठंडी जगहों पर सर्वाइवल के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
पाइड हैरियर गिद्ध और गिद्धों की प्रजाति से ताल्लुक रखता है। यह प्रवास काल के दौरान अक्सर धान के खेतों या फिर खुले स्थानों में देखा जाता है। ये नीची उड़ान भरते हुए अपने शिकार की रेकी करता है। यह अपने काले और सफेद रंग के आकर्षक पंखों से पहचाना जाता है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में प्रवासी पक्षियों का आगमन एक अद्भुत दृश्य होगा, जो पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।