नवंबर में सब्जियों की खेती: एक लाभदायक विकल्प
किसान जब भी अपनी किसी फसल की बुवाई करता है, तो उसके सामने सिर्फ एक लक्ष्य होता है – उसे अच्छा मुनाफा मिले. इसके लिए वह पारंपरिक खेती से हटकर नई फसलों को अपनाने से भी नहीं हिचकता. सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है और नवंबर के महीने में ज्यादातर किसान गेहूं की बुवाई में जुट जाते है. यह फसल लगभग छह महीने में तैयार होती है और प्रति बीघा लगभग ₹4000 तक का मुनाफा देती है. लेकिन अगर किसान कुछ ऐसी फसलों की ओर रुख करें जिनसे उन्हें हर दिन कमाई हो और गेहूं से कई गुना ज्यादा लाभ मिले, तो उनकी आमदनी में बड़ा इजाफा हो सकता है.
नवंबर का महीना सब्जियों की खेती के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है. इस समय किसान फूलगोभी, बंदगोभी, गाजर, मूली, शलगम, पालक, धनिया, टमाटर और मटर जैसी फसलों की बुवाई कर अधिक इनकम जनरेट कर सकते हैं. इनमें से कई फसलें जल्दी तैयार हो जाती हैं और रोजाना बाजार में बिक सकती हैं, जिससे किसानों को लगातार आमदनी होती रहती है.
इसके अलावा कुछ सब्जियां सहफसली (Intercropping) के रूप में भी उगाई जा सकती है. जैसे- पालक, मूली और धनिया की बुवाई के साथ ही उसी खेत में टमाटर, बैंगन और मिर्च के पौधे लगा दिए जाएंं. जब पालक, मूली और धनिया जैसी फसलें 30–35 दिन में तैयार होकर समाप्त हो जाती हैं, तो उसी समय टमाटर, मिर्च और बैंगन का उत्पादन शुरू हो जाता है. इस तरह एक ही खेत से किसानों को कई गुना ज्यादा आमदनी मिलती है.
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. आई.के. कुशवाहा ने बताया कि नवंबर में फसल की बुवाई और रोपाई का समय सबसे उपयुक्त होता है. अब नर्सरी बनाने का समय निकल चुका है, इसलिए पौध लगाने या सीधी बुवाई करने पर ध्यान देना चाहिए. उनके अनुसार इस सीजन में फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, पालक, मूली और धनिया जैसी फसलें बेहद लाभदायक है. पालक, मूली और धनिया जैसी फसलें 30 से 35 दिन में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को जल्दी आमदनी मिलती है.
जो किसान थोड़ी लंबी अवधि वाली फसलें लगाना चाहते हैं, वे हरी मटर, टमाटर, बैंगन और मिर्च की खेती कर सकते हैं. ये फसलें फरवरी से मार्च तक लगातार उत्पादन देती हैं और बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है.
डॉ. कुशवाहा के मुताबिक, यदि किसान पहले पालक, मूली और धनिया की बुवाई करें और इनके बाद उसी खेत में टमाटर, बैंगन और मिर्च की रोपाई कर दें, तो उन्हें पूरे सीजन में लगातार फसल मिलती रहेगी. पहले चरण में 30–35 दिन में हरी सब्जियों से कमाई होगी और बाद में टमाटर, मिर्च और बैंगन की फसल से लाभ मिलता रहेगा.
इस तरह की खेती को सहफसली खेती कहा जाता है. इससे किसान को एक ही खेत से दो या तीन फसलों की पैदावार मिलती है, जिससे न केवल खेत की उत्पादकता बढ़ती है बल्कि आमदनी भी कई गुना तक बढ़ जाती है.

