Uttar Pradesh

कोडीन कफ सिरप केस: बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की आलीशान कोठी पर एसटीएफ का छापा, देखकर उड़े होश

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध कोडीन-आधारित कफ सिरप रैकेट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले उत्तर प्रदेश में कई ठिकानों पर छापेमारी की. इन छापों में एक जगह खास तौर पर चर्चा में रही लखनऊ में स्थित वह आलीशान कोठी, जिसमें एक बर्खास्त सिपाही रहता था. यह सिपाही आलोक प्रताप सिंह है, जिसे कुछ दिनों पहले लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था. वह फिलहाल लखनऊ जेल में बंद है और 55 घंटे की पुलिस रिमांड पर है.

ईडी के अधिकारी लखनऊ-सुल्तानपुर हाईवे के पास अहिमामऊ इलाके में स्थित करीब 7,000 वर्ग फुट में फैले इस भव्य आवास पर पहुंचे. यह इलाका गोल्ड सिटी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है. अधिकारियों ने यहां करीब पांच घंटे तक तलाशी ली. हालांकि एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर बरामदगी का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार टीम ने कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए हैं.

बताया जा रहा है कि आलोक कुछ समय से अपने परिवार के साथ इसी मकान में रह रहा था. हल्के क्रीम रंग से पुती यह दो मंजिला भव्य इमारत गोमती नगर एक्सटेंशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसमें ऊंचे खंभे, सजे-धजे रेलिंग और ऊपर की मंजिल पर चौड़ी बालकनी है. भूतल पर बड़े-बड़े शीशों वाली खिड़कियां हैं, जिनके पास पुराने स्टाइल की लाइटें लगी हैं और सामने बड़ा पोर्च है. दाहिनी ओर ढका हुआ पार्किंग एरिया है, जहां एक मोटरसाइकिल खड़ी है, और वहीं से ऊपर जाने के लिए घुमावदार सीढ़ियां बनी हैं. बाहर सजावटी गेट और पौधों की कतार भी है.

ईडी सूत्रों के मुताबिक यह साफ दिखाई देता है कि इस संपत्ति के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. एजेंसी ने इस मकान की खरीद और निर्माण लागत, साथ ही लग्जरी इंटीरियर पर हुए खर्च का सही आकलन करने के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित प्रॉपर्टी वैल्यूअर को लगाया है. इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि इस संपत्ति में कितनी अवैध धनराशि का उपयोग किया गया है. हालांकि प्रारंभिक जांच में सिर्फ निर्माण लागत ही करीब 5 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है.

सिंडिकेट में भूमिका

2 दिसंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सिरप घोटाले से जुड़े एक मामले में आलोक को उसके घर से थोड़ी दूरी पर गिरफ्तार किया था. पुलिस के अनुसार वह इस अवैध नेटवर्क का हिस्सा था और कथित तौर पर उत्तर प्रदेश और झारखंड में दो थोक दवा इकाइयों का संचालन करता था, जो इस सिंडिकेट से जुड़े अन्य लोगों के साथ मिलकर काम कर रही थीं.

इस रैकेट में उसकी भूमिका का खुलासा एक अन्य आरोपी अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा से पूछताछ के दौरान हुआ, जिसे 27 नवंबर को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था. जहां यूपी पुलिस मामले की जांच कर रही है, वहीं ईडी ने भी शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

कौन है अलोक सिंह कैथी निवासी वीरेंद्र प्रताप सिंह के तीन बेटे हैं. मांधाता सिंह, आलोक सिंह उर्फ डब्लू और बंबू सिंह.  आलोक ने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से कक्षा तीसरी तक 1982 में पढ़ाई की थी. इसके बाद चहनियां स्थिति खंडवारी विद्यालय से सातवीं तक की पढ़ाई की. उसके पिता लखनऊ में पोस्टऑफिस में पोस्टमास्टर थे. इससे सातवीं के बाद वे पिता के साथ लखनऊ में रहने चला गया. वहां पुलिस में भर्ती हुआ.

2006 में गिरफ्तारी दो बार बर्खास्त’

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले का रहने वाला आलोक पहले भी विवादों में रह चुका है. पुलिस के अनुसार, उसका पहला आपराधिक मामला 2006 में सामने आया, जब वह लखनऊ में स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) में तैनात था. उसी साल सितंबर में उसे छह अन्य लोगों जिनमें चार पुलिसकर्मी भी शामिल थे के साथ प्रयागराज के एक व्यापारी के कर्मचारी से 4 किलो सोना लूटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में शामिल होने के कारण आलोक को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. बाद में सबूतों के अभाव में अदालत से बरी होने के बाद उसे कोर्ट के आदेश पर पुलिस सेवा में बहाल कर दिया गया. दोबारा सेवा में आने के बाद उस पर कर्तव्य में लापरवाही और दुर्व्यवहार के नए आरोप लगे. कई शिकायतों में उस पर लोगों के साथ मारपीट के आरोप भी सामने आए. इन आरोपों के आधार पर उसे 2019 में दूसरी बार सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

इसके बाद सूत्रों के मुताबिक आलोक कथित तौर पर ठेकेदारी के व्यवसाय में चला गया और अक्सर राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों के साथ देखा जाने लगा. उसकी कुछ तस्वीरें एक पूर्व बसपा सांसद के साथ भी सामने आईं, जिससे उसके बढ़ते नेटवर्क को लेकर अटकलें तेज हो गईं.

पूरा मामला

पिछले साल फरवरी में यूपी सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एसटीएफ और उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) को मिलाकर एक संयुक्त जांच टीम का गठन किया था. आरोप थे कि कफ सिरप और अन्य कोडीन-आधारित दवाओं को अवैध रूप से संग्रहित किया जा रहा है, नशे के रूप में बेचा जा रहा है और उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल सहित बांग्लादेश और नेपाल तक तस्करी की जा रही है.

अब तक यूपी के 31 जिलों में कुल 128 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल अपने परिवार के साथ दुबई फरार हो गया है. उसके पिता भोला जायसवाल को इसी महीने की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था.

अवैध भंडारण, बिक्री और कोडीन-आधारित कफ सिरप व अन्य नशीली दवाओं की तस्करी की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता आईजी रैंक के अधिकारी कर रहे हैं. अब तक पुलिस करीब 3.5 लाख बोतल कोडीन सिरप जब्त कर चुकी है, जिनकी बाजार कीमत लगभग 4.5 करोड़ रुपये बताई जा रही है.

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