Uttar Pradesh

Know the history of Ramlila of Rasra records are registered in World Heritage – News18 हिंदी



सनन्दन उपाध्याय/बलिया: भगवान राम की लीला हर जगह होती है. जिसमें प्रतिभाग करने वाले कलाकार अपनी प्रतिभा के अनुसार हर किसी को मंत्रमुग्ध कर लेते हैं. रामलीला समाज के लिए एक अच्छा संदेश भी माना जाता है. आज हम आपको उस रामलीला से रूबरू कराएंगे जिस रामलीला का एक अपना अलग ही इतिहास रहा है. हम बात कर रहे हैं रसड़ा के रामलीला की जो न केवल लाखों दर्शकों से जुड़ा है बल्कि इसका रिकॉर्ड विश्व हेरिटेज में दर्ज है. यहां रामलीला बड़ा ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. लाखों की संख्या में दर्शक इस रामलीला को देखने आते हैं. इस रामलीला का इतिहास ही दुल्हनिया पोखरे से शुरू हुआ. काफी भीड़ होने के कारण कालांतर में अब श्रीनाथ बाबा स्थल पर जाकर आज वर्तमान में अपना नाम विश्व हेरिटेज में दर्ज करा लिया.

इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि रसड़ा की रामलीला ऐतिहासिक है. इसका इतिहास 225 वर्ष पुराना है. 18वीं सदी में दुल्हनिया के पोखर से यह रामलीला शुरू हुआ था. काफी भीड़ होने के कारण कालांतर में श्रीनाथ बाबा पोखरे पर जाकर आज विश्व हेरिटेज में अपना नाम दर्ज करा लिया. इस रामलीला को देखने के लिए लाखों दर्शक इकट्ठा होते हैं.

ये है इस विश्व हेरिटेज रामलीला का इतिहास…इतिहासकार बताते हैं कि 18वीं सदी में दुल्हनिया के पोखर से यह रामलीला शुरू हुई थी. इस क्षेत्र को लहुरी काशी के नाम से भी जाना जाता है. इस रामलीला का नाम विश्व हेरिटेज में दर्ज है. लगभग 225 वर्ष पुराना यह रामलीला है. दुल्हनिया पोखरे पर जब काफी भीड़ होने लगी तो इस रामलीला को श्रीनाथ बाबा पोखरे पर समायोजित किया गया. जहां आज यह रामलीला लाखों दर्शकों से जुड़ गया है. यहां बड़ा मेला भी लगता है.

रामलीला के लिए बनाए गए हैं ये सब पक्के मंच…रामलीला के लिए सभी पक्के मंचन बनाए गए हैं. उदाहरण के तौर पर दर्शकों के लिए दीर्घा, लंका, अशोक वाटिका और किष्किंधा जैसे तमाम स्थान पक्के बनाए गए हैं. जिसमें यह रामलीला होता है. इस रामलीला को देखने के लिए अन्य जनपदों से भी दर्शक आते हैं. रामलीला दिन से ही शुरू हो जाता है. इसी तरह इस रामलीला का नाम विश्व हेरिटेज में दर्ज नहीं है. इस रामलीला को देखने आए दर्शक इस रामलीला से इतना प्रभावित हो जाते हैं की देखते ही देखते इस रामलीला के प्रभाव में खो जाते हैं.

ऐसे शुरू होती है रामलीला और ऐसे होता है समापन…यह ऐतिहासिक रामलीला भगवान श्री राम के वनवास के बाद प्रारंभ होती है और शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्री राम के राजगद्दी से इसका समापन किया जाता है. यह रामलीला इस जनपद के लिए ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों के लिए भी बड़ा महत्वपूर्ण है. भगवान श्री राम की यह लीला हर किसी के मन को मोह लेती है.
.Tags: Ballia news, Local18FIRST PUBLISHED : October 28, 2023, 21:33 IST



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