प्राकृतिक खेती के फायदे: एक सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प
आज के बदलते समय में जहां रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है, वहीं प्राकृतिक खेती किसानों और उपभोक्ताओं के लिए एक सुरक्षित विकल्प बनकर उभरी है. प्राकृतिक खेती में किसी भी प्रकार के रसायन या रासायनिक उर्वरक का प्रयोग नहीं किया जाता है. इसके बजाय, कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं और उन्हें प्रदर्शन के माध्यम से यह समझा रहे हैं कि कैसे रासायनिक उत्पादों के बिना भी फसल को तैयार किया जा सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, रासायनिक उर्वरक का अधिक उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इससे शरीर में तरह-तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं. प्राकृतिक खेती में फसल उगाने के दौरान 17 महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद रहते हैं, जो मानव शरीर को मजबूत बनाते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं. इसके अलावा, प्राकृतिक खेती से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और फसल की पैदावार भी अच्छी होती है.
फसल में रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव
रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता घट जाती है. भूजल और सतही जल प्रदूषित हो जाता है, जिससे जलीय जीवन को गंभीर नुकसान पहुंचता है. मानव स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक असर होता है, क्योंकि नाइट्रेट पानी में मिलकर ब्लू बेबी सिंड्रोम (बच्चों में एक घातक बीमारी) जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. इसके अलावा, रासायनिक उर्वरक पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों की संख्या घट जाती है, जो मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता के लिए महत्वपूर्ण हैं.
नेचुरल फार्मिंग से मिलने वाले लाभ
नेचुरल फार्मिंग अपनाने से किसानों की लागत कम होती है और प्रोडक्शन तथा आय बढ़ती है. साथ ही इसमें रासायनिक खेती की तुलना में पानी की जरूरत भी कम पड़ती है. वहीं ये मिट्टी सेहत सुधारती है, जल स्तर नियंत्रित रहता है और पर्यावरण सुरक्षित रहता है. इसके साथ ही प्राकृतिक खेती खाद्य पदार्थों को अधिक पौष्टिक बनाती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करती है. यह जैव विविधता बढ़ाती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति फसलों को अधिक मजबूत और लचीला बनाती है.
कृषि अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से पैदा किए गए अनाज और फल में 17 पोषक तत्व पाए जाते हैं. रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से होने वाली हानियों को प्राकृतिक खेती के माध्यम से काफी हद तक रोका जा सकता है. रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल शरीर को कमजोर करता है और बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है. इसलिए किसान बुवाई से लेकर फसल की देखभाल तक जैविक और जीवामृत खाद का ही प्रयोग करें. इससे फसल स्वस्थ रहती है, मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और उपभोक्ताओं को सुरक्षित और पोषक तत्वों से भरपूर अनाज मिलता है.