अयोध्या. आपने त्रेता युग में श्रवण कुमार की कथा और कहानी सुनी होगी. लेकिन कलयुग में भी ऐसे कई श्रवण कुमार हैं जो अपने मां-बाप को त्रेता युग के श्रवण कुमार की तरह ही मानते हैं. आज हम आपको कलयुग के श्रवण कुमार के बारे में बताएंगे, जिसने न केवल भारत बल्कि पिता के दिए गए स्कूटर से विदेशों तक की धार्मिक यात्रा अपने 75 वर्ष की मां के साथ की है. हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के डी कृष्ण कुमार की जो कभी कॉरपोरेट जगत में टीम लीडर का नौकरी करते थे. आखिर क्या ऐसा हुआ की नौकरी को त्यागपत्र देना पड़ा और आनंद महिंद्रा का दिया गया गिफ्ट भी उन्हें नहीं रास आया.48 वर्षीय कृष्ण कुमार मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं 8 वर्ष पूर्व पिता की मृत्यु हो जाती है और घर परिवार एक साथ रहता है. परिवार में 10 लोगों की संख्या रहती है और उन परिवार की जिम्मेदारी कृष्ण कुमार की मां चूड़ा रत्ना के ऊपर रहती है. पिता की मृत्यु के बाद परिवार अलग होता है और बेटा कारपोरेट जगत में टीम लीडर का नौकरी करता है. 1 दिन ऐसा हुआ कि मां और बेटे ने बातचीत के दौरान मां से पूछा मां आपने कभी कहीं घूमा है, तो मां ने बेटे से कहा हम तो बगल का मंदिर ही नहीं देखे हैं. उसी दिन बेटा कृष्ण कुमार भावुक होते हुए अपनी मां को संकल्प दिए की मां हम तुम्हें संपूर्ण भारत के जितने भी तीर्थ स्थल है वहां लेकर चलेंगे.भगवान राम की नगरी अयोध्या पहुंचे14 जनवरी 2018 को कृष्ण कुमार ने अपने नौकरी को त्यागपत्र दिया और 16 जनवरी 2018 को पिता के दिए गए 2001 मॉडल स्कूटर से मां को लेकर निकल पड़े. 5 वर्ष बाद स्कूटर से लगभग 68,000 किलोमीटर संपूर्ण भारत समेत नेपाल भूटान म्यांमार की यात्रा करने के बाद कृष्ण कुमार भगवान राम की नगरी अयोध्या पहुंचे. जहां उन्होंने अयोध्या की संस्कृत से इसके साथ ही अयोध्या के मठ मंदिरों में दर्शन पूजन किया.स्कूटर से है खास लगाव68,000 किलोमीटर से ज्यादा यात्रा अपनी मां के साथ करने वाले कृष्ण कुमार एक पुराने स्कूटर से की है जो उन्हें उनके पिता ने गिफ्ट में दिया था. स्कूटर कोई सामान स्कूटर नहीं बल्कि उस स्कूटर से कृष्ण कुमार का भावनात्मक लगाव भी है. कृष्ण कुमार बताते हैं कि इस यात्रा में हम दो लोग नहीं हैं हमारे पिता भी स्कूटर स्वरूप हमारे साथ में है.मैं सौभाग्यशाली हूं- मांमां चूड़ा रत्ना ने बताया कि हमने पति के जमाने में कुछ भी नहीं देखा था. लेकिन बेटे के जमाने में हमने पूरा भारत देखा धार्मिक स्थलों पर दर्शन करा कर बेटे ने हमारे जीवन को धन्य बनाया है. इसके साथ ही मेरे बेटे का जीवन ही धन्य है. जन्म देने वाले माता-पिता का ऋण चुकाना यह धन्य है. इस बात को बेटे ने माना है संकल्प लिया है. इस जमाने में ऐसा पुत्र मिलना बहुत मुश्किल है. मुझे ऐसा पुत्र मिला मैं सौभाग्यशाली हूं..FIRST PUBLISHED : May 21, 2023, 13:17 IST



Source link