Uttar Pradesh

किसी भी आरक्षित पद को नहीं किया जा सकता अनारक्षित, यूजीसी के मसौदा निर्देशों पर शिक्षा मंत्रालय की सफाई



नई दिल्ली. यूजीसी के एक मसौदा निर्देश में आरक्षित कैटेगरी की सीटें खाली रहने पर अनारक्षित घोषित करने का प्रस्ताव था. यह मसौदा निर्देश सामने आते ही विवाद हो गया. विश्वविद्यालयों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक इसका विरोध शुरू हो गया. जिसके बाद अब शिक्षा मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है. रविवावर को जारी स्पष्टीकरण में मंत्रालय ने कहा कि किसी भी पद को अनारक्षित नहीं किया जाएगा. शिक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (शिक्षकों के संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार शिक्षक संवर्ग में सीधी भर्ती के सभी पदों के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान किया जाता है.’’

मंत्रालय ने कहा, ‘इस अधिनियम के लागू होने के बाद, किसी भी आरक्षित पद का आरक्षण समाप्त नहीं किया जाएगा. शिक्षा मंत्रालय ने सभी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (सीईआई) को 2019 अधिनियम के अनुसार रिक्तियों को भरने के निर्देश दिए हैं.’

यूजीसी के चेयरमैन ने भी दी सफाई

यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने भी स्पष्ट किया कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (सीईआई) में आरक्षित श्रेणी के पद का आरक्षण रद्द नहीं किया गया है और ऐसा कोई आरक्षण समाप्त नहीं किया जाने वाला है. उन्होंने भी पोस्ट किया, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई आरक्षण समाप्त नहीं हुआ है और ऐसे कोई आरक्षण समाप्त नहीं होने जा रहा है.’’ उन्होंने कहा कि सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आरक्षित श्रेणी के सभी पूर्व में रिक्त पद (बैकलॉग) ठोस प्रयासों से भरे जाएं.

यूजीसी के नए मसौदा निर्देशों में क्या है ?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नये मसौदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘‘अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित रिक्ति को एससी या एसटी या ओबीसी अभ्यर्थी के अलावा किसी अन्य अभ्यर्थी द्वारा नहीं भरा जा सकता है.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, एक आरक्षित रिक्ति को अनारक्षित करने की प्रक्रिया का पालन करके अनारक्षित घोषित किया जा सकता है, जिसके बाद इसे अनारक्षित रिक्ति के रूप में भरा जा सकता है.’’

इसमें कहा गया है कि सीधी भर्ती के मामले में आरक्षित रिक्तियों को अनारक्षित घोषित करने पर प्रतिबंध है. हालांकि समूह ‘ए’ सेवा में जब कोई रिक्ति सार्वजनिक हित में खाली नहीं छोड़ी जा सकती, ऐसे में इस तरह के दुर्लभ और असाधारण मामलों में संबंधित विश्वविद्यालय रिक्ति के आरक्षण को रद्द करने का प्रस्ताव तैयार कर सकता है. प्रस्ताव में पद भरने के लिए किये गए प्रयास सूचीबद्ध करने होंगे, रिक्ति को क्यों खाली नहीं रखा जा सकता, इसका कारण बताना होगा और आरक्षण रद्द करने का औचित्य क्या है, यह भी बताना होगा.’’

जेएनयू छात्र संघ ने किया विरोध प्रदर्शन का ऐलान

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, मसौदा निर्देश सामने आने पर कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि उच्च शिक्षा संस्थानों में पदों पर एससी, एसटी और ओबीसी को दिए गए आरक्षण को समाप्त करने की ‘साजिश’ की जा रही और (नरेन्द्र) मोदी सरकार दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के मुद्दों पर केवल ‘प्रतीक की राजनीति’ कर रही है. जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने इस मुद्दे पर यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार के खिलाफ सोमवार को विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है.

.Tags: Caste Reservation, Government jobs, UgcFIRST PUBLISHED : January 28, 2024, 22:33 IST



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