ग्लिसरीडिया की खेती: एक स्मार्ट विकल्प किसानों के लिए
अगर आप भी खेती से फायदा कमाना चाहते हैं तो आपके लिए ग्लिसरीडिया की खेती एक स्मार्ट विकल्प साबित हो सकती है. यह पौधा खेत की मिट्टी को उर्वरक बनाए रखता है, फसल की पैदावार बढ़ाता है और लागत कम करने में मदद करता है. डिटेल में जानिए क्यों और कैसे इसकी खेती आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के विकासखंड इटियाथोक के प्रगतिशील किसान जितेंद्र कुमार ने खेती में नई दिशा दिखाई है. उन्होंने खेतों की मेड़ों पर ग्लिसरीडिया के पौधे लगाए हैं और इससे उन्हें लाखों की आमदनी हो रही है. जितेंद्र कुमार ने बताया कि ग्लिसरीडिया एक बेहद फायदेमंद पौधा है. इसकी पत्तियों में नाइट्रोजन भरपूर मात्रा में होता है, जो मिट्टी के लिए प्राकृतिक खाद का काम करता है. किसान इन पत्तियों को काटकर खेत में डालते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहती है और यूरिया जैसी रासायनिक खाद की जरूरत कम हो जाती है.
ग्लिसरीडिया की खेती में है फायदा ही फायदा
जितेंद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने MA और बीएड तक की पढ़ाई की है, लेकिन नौकरी नहीं मिलने के कारण उन्होंने खेती की ओर रुख किया. पहले वे पारंपरिक खेती करते थे, जिसमें लागत ज्यादा और मुनाफा कम होता था. लेकिन ग्लिसरीडिया लगाने के बाद उनकी लागत कम हुई और आमदनी बढ़ गई. अब वे अपनी फसलों को लगभग जैविक तरीके से तैयार करते हैं और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.
ग्लिसरीडिया की खासियत और फायदा
ग्लिसरीडिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बार-बार काटने पर भी जल्दी नई पत्तियां उग आती हैं. इसकी पत्तियां साल भर प्राकृतिक खाद के रूप में उपयोग की जा सकती हैं. साथ ही इसकी लकड़ी जलावन के काम आती है और जड़ें मिट्टी को मजबूत बनाती हैं.
अब जितेंद्र की नर्सरी तैयार हो गई है और वे इसे अपने खेतों के चारों तरफ लगाने का काम शुरू करेंगे. उन्होंने बीज पानी संस्थान से प्राप्त किया था. ग्लिसरीडिया अपनाने के बाद उनकी खेती में बदलाव आया है, मिट्टी उर्वरक बनी रहती है, फसल अच्छी होती है और रासायनिक खाद का खर्च काफी कम हो गया है.
ग्लिसरीडिया के लाभ
ग्लिसरीडिया अपनाने के कई फायदे हैं. यह पौधा खेत की मेड़ों को मजबूत बनाता है और इसकी पत्तियां प्राकृतिक खाद का काम करती हैं. इसके अलावा, मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है. यही नहीं, ग्लिसरीडिया से किसान को अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त होती है और खेती में लागत कम होने के साथ साथ लाभ अधिक मिलता है.