लहसुन भारतीय किचन में वर्षों से मसाले के रूप में चटपटे व्यंजनों को तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका औषधि के रूप में भी आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है. इसमें मौजूद एलिसिन जैसे बायोएक्टिव यौगिक शरीर को कई तरह के फायदे देते हैं. लहसुन में एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और हार्ट-प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो दिल की सेहत के लिए फायदेमंद माने जाते हैं.
लेकिन इसके कई लाभ होने के बावजूद, लहसुन हर किसी के लिए सेहतमंद विकल्प नहीं है. कुछ लोगों को इसे खाने से दिक्कत हो सकती हैं या उनकी पहले से मौजूद बीमारी बढ़ सकती है. इसलिए यहां आज हम आपको ऐसी 5 हेल्थ कंडीशन के बारे में बता रहे हैं, जिनसे जूझ रहे लोगों को लहसुन का सेवन कम या इससे पूरी तरह से परहेज करना चाहिए.
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किन लोगों लहसुन नहीं खाना चाहिए-खून पतला करने वाली दवाएं लेने वाले लोग
लहसुन में खून के थक्के बनने से रोकने के गुण होते हैं. इसलिए हार्ट अटैक के जोखिम वाले लोगों को इसके सेवन की सलाह दी जाती है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति पहले से वारफेरिन या एस्पिरिन जैसी ब्लड थिनर दवाएं ले रहा है, तो ज्यादा लहसुन खाने से इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है, खासकर सर्जरी या चोट लगने के मामलों में.
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) वाले लोग
लहसुन निचले इसोफेगल स्पिंक्टर मांसपेशी को ढीला कर सकता है, जिससे पेट का एसिड ऊपर आकर एसिड रिफ्लक्स पैदा करता है. इससे सीने में जलन और मतली जैसे GERD के लक्षण बढ़ सकते हैं. ऐसे में यदि आप इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो लहसुन का सेवन कम या न के बराबर करें.
इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) के मरीज
लहसुन में फ्रक्टान नामक कार्बोहाइड्रेट होता है, जो ऐसे लोगों में गैस, पेट फूलना और दर्द जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है. ऐसे में जो लोग इन लक्षणों को कम करने वाले डाइट पर हैं, उन्हें लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए.
लहसुन से एलर्जी वाले लोग
कुछ लोगों को लहसुन से एलर्जी होती है. इसमें मुंह और गले में जलन, मतली और गंभीर मामलों में ऐनाफिलैक्टिक रिएक्शन हो सकता है. प्याज या लीक जैसी अन्य ऐलियम प्रजातियों से एलर्जी वाले लोग भी लहसुन के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं.
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सीमित मात्रा में लहसुन सेफ है, लेकिन अधिक मात्रा में यह गर्भाशय में संकुचन को बढ़ा सकता है. स्तनपान के दौरान ज्यादा लहसुन खाने से दूध में इसकी तेज गंध जा सकती है, जिससे बच्चे की फीडिंग पैटर्न प्रभावित हो सकता है.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.