विशाल भटनागर/मेरठ : भारत एक कृषि प्रधान देश है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गन्ना,गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहनी फसलों की बुवाई कर अपना जीवन यापन करते हैं. इस बदलते दौर में कमाई के लिए किसानों को थोड़ी सूझबूझ और तकनीक से खेती करने की जरूरत है. किसानों को पारंपरिक खेती करने के बाद अन्य फसलों या बागवानी पर भी ध्यान देना चाहिए. इससे किसान बेहद आराम से लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मालाबार नीम के पेड़ किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है. मालाबार नीम की लकड़ी का उपयोग पैकिंग करने, माचिस की तिली तैयार करने, कुर्सी-मेज, सोफा बनाने समेत अन्य कामों में भी किया जाता है. किसान इसकी खेती कर लाखों रुपये कमा सकते हैं. जानकारों का कहना है कि मालाबार नीम के पेड़ की लकड़ी बाजार में महंगे दामों पर बिकती है. मालाबार नीम की लकड़ी में दीमक लगने की आशंका नहीं रहती है. यही वजह है कि इससे बने फर्नीचर कि देश और दुनिया में काफी डिमांड है. यदि किसान पूरी तरह पेड़ों की खेती नहीं करना चाहते तो खेत की बाउंड्री पर भी मालाबार नीम के पौधे लगाकर छोटी शुरुआत कर सकते हैं, जिससे कुछ साल में बड़ा मुनाफा मिल सकता है.

पॉपुलर का विकल्प बनेगा मालाबार नीममेरठ के डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि किसानों को मालाबार नीम की खेती के प्रति जागरूक किया जा रहा हैं. मालाबार नीम पॉपुलर का यह विकल्प बन सकता है. जिसके माध्यम से किसान की आय में दोगुना इजाफा होगा. वह कहते हैं शुरुआती दौर में जब इसका बीज डाला जाता है. तब थोड़ी किसानों को जरूर मेहनत करनी होगी. लेकिन उसके बाद यह पेड़ अपने आप में तेजी से ग्रोथ करता है. एक साल में ही यह 8 से 10 फीट से अधिक ऊंचाई को हासिल कर लेता है.

1 एकड़ में लग सकते हैं 1500 पौधेडीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि मालाबार नीम की बुवाई मार्च और अप्रैल में की जा सकती है. यदि खेत1 एकड़ का है तो 1000-1500 पौधे लगाए जा सकते हैं. वहीं खेत 2 एकड़ है तो 2000-2500  पौधे लगाए जा सकते हैं. मालाबार नीम की लकड़ी 3 साल कागज और माचिस की तिलियां बनाने के काम आता है. वहीं 5 साल बाद प्लाईवुड और 8 साल बाद इसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जाता है. जैसे जैसे पेड़ की उम्र बढ़ती है. ऐसे ऐसे ही कमाई भी बढ़ जाती है

दक्षिण भारत के किसानों को हुआ लाभडीएफओ राजेश कुमार के अनुसार वन विभाग द्वारा अपनी नर्सरी में बड़ी संख्या में मालाबार नीम की पौध उगाए जा रहे हैं. जिसे एग्रीकल्चर विभाग के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. ताकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भी इस तरफ तेजी से बड़े और उन्हें फायदा हो. बताते चलें कि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में इन पेड़ों के माध्यम से किसान खेती कर रहे हैं. जिनकी आय में काफी इजाफा हो रहा है.
.Tags: Agriculture, Local18, Meerut news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : February 26, 2024, 21:21 IST



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