अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. आइजेनमेंगर सिंड्रोम नामक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही एक गर्भवती महिला और उसके बच्चे की जान किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने बचा ली है. गोरखपुर की रहने वाली 26 वर्षीय नीलिमा 10 अगस्त को सांस लेने में कठिनाई और धड़कन में परेशानी होने पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के महिला अस्पताल क्वीनमेरी में आई थीं. जहां पर 25 फीसदी हृदय से जुड़ी हुई दिक्कत का निदान किया गया था, जिस वजह से महिला को आइजेनमेंगर सिंड्रोम हुआ था.

उसे प्रोफेसर एसपी जैसवार ने भर्ती किया था. प्रसूति टीम ने तुरंत आपातकालीन एनेस्थीसिया टीम के साथ परामर्श किया जिसका नेतृत्व प्रोफेसर जीपी सिंह और डॉ. प्रशांत कनौजिया ने किया. प्रोफेसर अंजू अग्रवाल और डॉ. मोना बजाज ने सर्जरी टीम का नेतृत्व करते हुए सफलतापूर्वक सिजेरियन सेक्शन किया और बच्चे को बचाया. डॉक्टर शशांक और उनकी टीम द्वारा मां को ट्रॉमा वेंटीलेटर यूनिट में भेज दिया गया था. कुछ दिन की मॉनिटरिंग के बाद बच्चे और मां दोनों की हालत स्थिर होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

चीन को छोड़ा पीछे

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह ने बताया कि यह सिंड्रोम एक बेहद दुर्लभ और घातक बीमारी है. डब्ल्यूएचओ ने भी इस बीमारी को गर्भावस्था में बेहद घातक बताया है. इस बीमारी में हृदय में दोष के कारण पलमोनरी धमनी को अपरिवर्तनीय नुकसान होता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने के साथ ही अचानक मृत्यु हो सकती है. गर्भावस्था में इसकी मृत्यु दर 65% से भी अधिक है. एनेस्थीसिया का कोई भी रूप देना इस बीमारी में मामले को और घातक बनाना माना जाता है.

उन्होंने बताया कि दुनिया भर की सभी रिपोर्ट को देखें तो चीन ने अब तक केवल दो लोगों की इस मामले में जान बचाई है, जबकि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने पिछले दो वर्षों के दौरान लगातार तीन मरीजों की जान बचाई है, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत एक बड़ी उपलब्धि है.
.Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 16, 2023, 21:31 IST



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