सहारनपुर: गन्ना बेल्ट के रूप में जाने वाले इस क्षेत्र में गन्ने की खेती और इससे बने उत्पादों के लिए पूरे देश में प्रसिद्धि हासिल है. लेकिन इसी मिठास के पीछे किसानों की कड़ी मेहनत और कई संघर्षों की कहानी छुपी होती है. एक ऐसी ही प्रेरक कहानी है मुजफ्फरनगर के किसान धीर सिंह की, जिन्होंने वर्षों तक रासायनिक खेती करने के बाद अब पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती अपनाई है और लोगों को शुद्ध गुड़ और शक्कर पहुंचा रहे हैं।
कोरोना काल में आया बड़ा बदलावधीर सिंह बताते हैं कि उन्होंने गुड़ बनाना तो पहले से शुरू कर दिया था, लेकिन कोरोना महामारी ने उनकी सोच पूरी तरह बदल दी. लोगों को इम्युनिटी घटने और मौतों का सिलसिला देखते हुए उन्होंने निर्णय लिया कि वे अब रासायनिक दवाइयों से उगाए गन्ने का गुड़ किसी को नहीं खिलाएंगे. उन्होंने राजीव दीक्षित और सुभाष पालेकर की प्राकृतिक खेती पर आधारित वीडियो देखने के बाद देसी खाद तैयार करनी शुरू की. इस दौरान उन्हें भारी संघर्ष का सामना करना पड़ा.
खाद तैयार करने के लिए ड्रम खेत तक ले जाते-लाते समय वे गिर गए और 6 महीने तक बेड रेस्ट पर रहे. घर में खाद की गंध से परिवार को परेशानी हुई और बच्चों ने खेती ही छोड़ देने की सलाह दी, लेकिन धीर सिंह ने हार नहीं मानी. उनका कहना था—”अच्छा खाना खुद भी खाना है और लोगों को भी खिलाना है.”
पैदावार घटी, पर हौसला बढ़ाशुरुआत में ऑर्गेनिक खेती से पैदावार आधी रह गई. जहां पहले रासायनिक खेती से एक बीघा में 70–80 क्विंटल गन्ना मिलता था, वहीं ऑर्गेनिक खेती में सिर्फ 35–40 क्विंटल ही निकला. लेकिन धीर सिंह संतुष्ट थे—“कम पैदावार सही, पर ज़हर से तो छुटकारा मिला. उन्होंने कहा आज मैं भी शुद्ध खा रहा हूं और लोगों को भी वही खिला रहा हूं.”
धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई. सरकारी स्टॉल मिलने लगे और बाजार में उनके गुड़ और शक्कर की डिमांड बढ़ने लगी. आज धीर सिंह अपने खेत के ऑर्गेनिक गन्ने से 10 प्रकार का गुड़ बना रहे हैं—सिंपल गुड़, ड्राय-फ्रूट गुड़, तिल वाला गुड़, अदरक गुड़, गाजर गुड़, अन्य फ्लेवर वाले गुड़. आज उनका गुड़ देहरादून, मेरठ, मथुरा, अलीगढ़ और दिल्ली में खूब पसंद किया जा रहा है. अलीगढ़ में स्टॉल लगाने पर लोगों ने कहा—“ऐसा गुड़ हमने 50 साल पहले खाया था!”
आज उनका गुड़ बाजार में अन्य गुड़ों की तुलना में तीन गुना अधिक दाम पर बिक रहा है, और लोग इसे “पूरी तरह शुद्ध” बताकर खरीद भी रहे हैं. धीर सिंह की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक किसान ने अपनी कड़ी मेहनत और हौसले से ऑर्गेनिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाया और लोगों को शुद्ध गुड़ और शक्कर पहुंचाया.

